चाकुलिया : चाकुलिया प्रखंड के विभिन्न गांव में दशहरा के अवसर पर आदिवासी समुदाय के युवा अपने परंपरागत वेष-भूषा में वद्ययंत्र लेकर दशाई नृत्य करने में मशगूल है. समाज का मानना है कि आदिवासी समाज का राजा महिषासुर थे. मां दुर्गा ने उनका वध कर दिया था. समाज के लोगों को राजा नही दिखे तो वे सभी बहुरुपिया के वेश में सज धज कर नृत्य करते उन्हें ढूंढने निकले थे. तब से लेकर आज तक आदिवासी समुदाय के युवा बहुरूपिया के रूप में “हाय रे हाय रे देवी रे दुर्गा दोकिन ओढोक केना, आइनोम काजल दोकिन बाहेर रेना रे…” (राजा महिषासुर का वध कर देवी दुर्गा निकल गई) गाते हुये समाज के युवा अपने महराज के वध का दुुुख प्रकट करते हुए घर घर जाकर अपने राजा महिषासुर की तलाश करते हैं. जो आज भी समाज की इस परंपरा जारी है. दासाई नृत्य करते युवा गांव गांव में घर घर जाते हैं और यह गीत गाकर दासाई नृत्य करते हैं. गांव के लोग नृत्य दल को सम्मान में धान और चावल देते हैं. समाज के युवाओं का कहना है कि हमारी संस्कृति अब धीरे धीरे विलुप्त हो रही है. दसाई नृत्य आदिवासी संस्कृति का अभिन्न अंग है. यह नृत्य पहले हर गांव में होती थी परंतु अब कुछ गांव में ही सिमट कर रह गई हैं. पहले बाजार में हर पूजा पंडाल में भी युवा सज धज कर दसाई नृत्य करते थे परंतु अब देखने को नही मिल रहा है.