

जमशेदपुर/आदित्यपुर : वैश्विक महामारी के कारण पूरी दुनिया त्राहिमाम कर रही है. वैसे धीरे-धीरे अब जनजीवन सामान्य हो रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार जरूरी दिशा- निर्देशों के साथ जनजीवन को पटरी पर लाने की कवायद में जुटी हुई है. वैसे कोरोना महामारी के कारण पूरी अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई है. इसका सबसे बड़ा खामियाजा अगर किसी को उठाना पड़ रहा है, तो वो हैं अभिभावक. जिनके समक्ष एक तो रोजगार का खतरा, दूसरी तरफ बच्चों के भविष्य का खतरा. निजी स्कूल प्रबंधन ना तो केंद्र सरकार ना ही राज्य सरकार का निर्देश मान रहे हैं. चाहे वह ट्यूशन फीस का मामला हो, या सालाना फीस वसूली का मामला. निजी स्कूल अभिभावकों पर अनावश्यक दबाव बनाकर फीस वसूलने का कोई मौका नहीं चूक रहे. पिछले दिनों झारखंड के सरायकेला- खरसावां जिला के शिक्षा अधीक्षक ने राज्य सरकार के दिशानिर्देशों को सख्ती से पालन किए जाने संबंधी आदेश जिले के सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के लिए जारी किया था, लेकिन एनआईटी डीएवी प्रबंधन ने जिला शिक्षा अधीक्षक के निर्देशों को मानने से इनकार कर दिया है. (नीचे भी पढ़ें)

इधर जमशेदपुर अभिभावक संघ एक बार फिर से शनिवार को एनआईटीडी डीएवी पहुंचा. इस दौरान संघ के समर्थन में कई अभिभावक भी यहां पहुंचे, लेकिन डीएवी प्रबंधन ने सरकारी आदेश को मानने से साफ इंकार कर दिया है. उधर अभिभावक अभी भी इस उम्मीद में है, कि स्कूल प्रबंधन उनके मर्म को समझेगा और बच्चों से लिए जाने वाले सालाना फीस और ट्यूशन फीस में कटौती करेगा. अभिभावकों ने सरकार से स्कूल प्रबंधन की तानाशाही से निजात दिलाने की मांग की है. वहीं जमशेदपुर अभिभावक संघ के अध्यक्ष डॉ उमेश कुमार ने ऐसे स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ जोरदार आंदोलन छेड़ने का ऐलान कर दिया है. हालांकि इस संबंध में डीएवी एनआईटी प्रबंधन पूर्व में ही अपने शिक्षकों एवं कर्मचारियों के वेतन का हवाला देते हुए साफ कर दिया था, कि वार्षिक शुल्क और ट्यूशन फीस अभिभावकों को देना ही पड़ेगा. वैसे एनआईटी के प्रिंसिपल ने किसी भी बच्चों को परीक्षा से वंचित नहीं होने देने का भरोसा दिलाया है. कुल मिलाकर झारखंड के निजी स्कूल प्रबंधन अभी भी मनमानी पर आमादा है, और अभिभावक परेशान सरकार इस मामले पर चुप्पी साध रखी है.