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adityapur Jiada demonstration आदित्यपुर जियाडा कार्यालय पर चार गांवों के विस्थापितों का प्रदर्शन, कहा-निवेशकों को लाभ ही लाभ, जमीनदाता मुलभूत सुविधाओं से वंचित, जानें क्या है मामला

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आदित्यपुर: जियाडा द्वारा औद्योगिक विस्तार के लिए गम्हरिया थाना अंतर्गत अधिग्रहित भूमि मौजा बाड़ूबाद, सीदड़ी, कालिकापुर एवं ऊपर बेड़ा के विस्थापित परिवारों ने मंगलवार को आदित्यपुर स्थित जियाडा कार्यालय पर प्रदर्शन करते हुए 25 बिंदुओं को पूरा करने की मांग की गई. जियाडा विस्थापित आत्मनिर्भर समिति के बैनर तले विस्थापितों ने संरक्षक सूर्य सिंह बेसरा के नेतृत्व में प्रदर्शन किया और झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार के क्षेत्रीय निदेशक के नाम एक मांग पत्र सौंपा.(नीचे भी पढ़े)

सौंपे गए ज्ञापन के माध्यम से जानकारी देते हुए सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि इन सभी मौजा के विस्थापितों के जमीन पर कई औद्योगिक कंपनियां जैसे टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट्स लिमिटेड, टायो एवं अन्य कंपनियां स्थापित हैं. उपरोक्त मौजा की जमीन पर स्थापित कंपनियों के निवेशक को कई गुना लाभ मिल चुका है और निवेशक परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी उस लाभ का उपभोग करते रहेंगे, परंतु जमीनदाता के वंशज अपने मूलभूत सुविधाओं एवं अधिकारों, लाभ व कल्याण से वंचित हैं. वर्तमान में सभी पैतृक जमीन से विस्थापित हैं और वांछित लाभ एवं कल्याण से वंचित है.(नीचे भी पढ़े)

उन्होंने कहा कि यदि इनका पैतृक जमीन होता तो ये पीढ़ी दर पीढ़ी उसका उपभोग करते रहते और जमीन से जुड़ाव के साथ उनकी पहचान भी बनी रहती. प्राधिकार द्वारा यहां के आदिवासियों- मूलवासियों के हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया तथा औद्योगिक विस्तार करने हेतु कई औद्योगिक कंपनियों को लीज इकरारनामा के तहत उक्त जमीन के अंश को आवंटित किया गया है. उन्होंने बताया कि जमीन आवंटित कंपनियों को निर्देश दिया गया है, कि विस्थापित जमीन दाता के प्रत्येक परिवार में से एक व्यक्ति को नौकरी दी जाएगी, यदि अकुशल श्रमिक नहीं है तो उन्हें कुशल श्रमिक बनाने हेतु प्रशिक्षण देकर उन्हें कुशल श्रमिक बनाया जाएगा. (नीचे भी पढ़े)

तत्पश्चात उनको कंपनी में नियोजित किया जाएगा, ताकि कंपनी स्थापित वक्ताओं का आर्थिक विकास हो सके. परंतु वर्तमान में कई प्रभावित बेरोजगार है. उनका आर्थिक विकास नहीं हो पाया है. इस दिशा में न कोई कंपनी ध्यान दे रही है, और न प्राधिकार इस दिशा में कोई पहल कर रही है. इसलिए प्राधिकार का ध्यान आकर्षित करते हुए उनके समक्ष ज्ञापन के माध्यम से मांग रखा गया है.

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