
आदित्यपुर : इलाके में हर रोज़ चार से पांच घंटे बिजली कट रही है. दूसरे मौसम ने जब से करवट बदली है तब से ट्रांसफरमरो पर मौसम ने अलग ही कहर बरपाया है. वहीं ट्रांसफार्मर और बिजली खंभों के तारों की मरम्मत करने वाले कामगारों की सुरक्षा के इंतजाम विभाग के द्वारा कराया जाना लगता है कि संभव नहीं है. शहरी व ग्रामीण इलाकों में बिजली कर्मचारी बगैर संसाधनों के ही ट्रांसफार्मर पर चढ़कर काम कर रहें हैं. ऐसे में जरा सी चूक कर्मचारियों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. ये जो तस्वीर आप देख रहे हैं, ये गम्हरिया के उषा मोड़ बस स्टैंड रोड के पास कामगार द्वारा मानकों को ताक पर रखकर बिजली ट्रांसफार्मर पर चढ़कर काम करने की है. उनके पास सेफ्टी किट के नाम पर हाथों में पहने जाने वाले दस्ताने तक नहीं थे. एक कामगार से जब सेफ्टी किट मिलने-न मिलने के बारे में पूछा तो उसने जवाब ही नहीं दिया. वहां खड़े पेटी कॉन्ट्रेक्टर के सुपरवाइजर से जैसे ही कर्मचारियों की सेफ्टी किट के बारे में पूछा तो उसने कहा मैं तो हाल ही में प्रोजेक्ट को देखने आया हूं, मुझे नहीं पता. काम पूरा नहीं होने तक वहां दो कामगार मिस्त्री बिना सेफ्टी किट में ही काम करते रहे. हालांकि यह पहला मामला नहीं है इसके पहले भी ऐसी कई खबरें देखी गई हैं और कई दुर्घटनाये भी विभाग के द्वारा प्रेषित सुरक्षा संसाधनों की पोल खोलता हुआ दिखाई देता है. वहीं दूसरी ओर अधिकारियों की मानें तो बिजली कंपनी में लाइन स्टाफ को समय-समय पर सुरक्षा उपकरण मुहैया कराए जाते हैं, लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ नजर नहीं आता. शहर में ही कर्मचारी फॉल्ट सुधारने या बिजली के अन्य काम करने के दौरान सुरक्षा उपकरण, सीढ़ी या बेल्ट का उपयोग नहीं करते न ही डिस्चार्ज रॉड का उपयोग करते हैं. यही नहीं पूरे डिवीजन में एक भी लाइनमैन हेलमेट पहने नजर नहीं आता. उन्होंने बताया कि लाइन पर काम करते वक्त सीढ़ी, हेलमेट, दस्ताने, सेफ्टी बेल्ट, डिस्चार्ज रॉड, प्लास, टेस्टर, रैनकोट, जूते, गर्म कपड़े. उपकरण करंट रोधी हो.
लेबर को नहीं है पोल पर चढ़ने का अधिकार : बिजली निगम के अधिकारी ने बताया कि नियमानुसार ठेकेदार के लेबर को बिजली के पोल पर चढ़ने का अधिकार नहीं है. चाहे लाइन बंद हो या चालू. उसे केवल लाइनमैन के सहयोगी के रूप में रखा जाता है. इसके बावजूद अपने आप को खतरों से खेलने का हुनर दिखा कर और थोड़े लालच या फिर लाइनमैन से संबंध के चलते लेबर लाइन सुधार कार्य के लिए पोल पर चढ़ जाते हैं.