खबरadityapur-nagar-nigam-क्या आदित्यपुर नगर निगम में सब कुछ ठीक-ठाक है !
spot_img

adityapur-nagar-nigam-क्या आदित्यपुर नगर निगम में सब कुछ ठीक-ठाक है !

राशिफल

आदित्यपुर : सरायकेला-खरसावां जिला के आदित्यपुर नगर निगम का विवादों से गहरा नाता रहा है. नगर परिषद से निगम बनने तक का सफर विवादों में रहा है. कभी अधिकारी-अध्यक्ष के बीच विवाद, तो कभी उप-महापौर के साथ अधिकारी का विवाद सुर्खियों में रहा. कभी बोर्ड मीटिंग में पार्षद-मेयर के बीच नोंक-झोंक खूब सुर्खियों में रहा. वैसे हितों के मामले में सभी माननीय एकमत नजर आए. चाहे माननीयों को लक्जरी गाड़ियों का मामला हो या आईफोन अथवा पेट्रोल भत्ता का मामला बोर्ड मीटिंग में बगैर शोर- शराबे के पास हो गए, कुछ तो पूरे हो गए कुछ विचाराधीन हैं. हाल ही में संपन्न दसवें बोर्ड बैठक में सभी पार्षदों को गिफ्ट के रूप में एक्जीक्यूटिव बैग व अन्य इम्पोर्टेट सामान मिले जो बिना हो हंगामे के सभी माननीयों ने रख लिया. वैसे अंदरखाने में सबकुछ ठीक- ठाक नहीं प्रतीत हो रहा है, ऐसा सूत्रों का मानना है. सूत्रों की अगर मानें तो नगर निगम के पुराने पार्षद अपनी उपेक्षा से नाराज चल रहे हैं. पुराने पार्षदों का मानना है, कि नए पार्षदों के आने से उनके अनुभव और उनकी महत्ता को नजरअंदाज किया जा रहा है. वहीं नए पार्षदों की भी कमोबेश ऐसी ही शिकायत सुनने को मिल रही है. उनका भी यही आरोप है, कि पुराने पार्षदों को तरजीह दिया जा रहा है नए को पूछने वाला कोई नहीं. अब ये तो नगर निगम के माननीय ही बता सकेंगे कि वाकई में वहां क्या चल रहा है, धुआं अगर उठ रहा है तो निश्चय ही कहीं आग लगी है. वहीं विकास योजनाओं की अगर हम बात करें, तो फिलहाल पूरा आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र की सड़को पर जहां-तहां सीवरेज ड्रेनेज, गैस, पानी और बिजली के अंडरग्राउंड पाइप लाइन के लिए खोदे गए गड्ढों से निकलने वाले धूल और जलजमाव से बेहाल हैं. आदित्यपुर में निजी नर्सिंग होम चलाने वाले एक चिकित्सक ने बताया, कि आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र के ज्यादातर लोग सांस से संबंधित बीमारियां लेकर उनके पास पहुंच रहे हैं. मतलब निगम क्षेत्र में उड़ने वाले धूल से लोग बीमार पड़ रहे हैं. इस पर निगम के माननीय का नजर क्यों नहीं पड़ रहा यह बड़ा प्रश्न है. वैसे अब लगभग ढाई साल नगर निगम का चुनाव बच गया है. अब तक सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम और कचरा प्रबंधन जो यहां की सबसे अहम समस्या है, उसका निष्पादन नहीं हो सका है. ऐसे में नए पुराने पार्षदों के बीच आरोप-प्रत्यारोप फिर से कोई नया गुल खिला सकता है, और निगम के वर्तमान कार्यकाल को विवादों में खड़ा कर सकता है. हालांकि तीन पार्षदों के मानदेय का मामला भी अभी लंबित ही है.

[metaslider id=15963 cssclass=””]

Must Read

Related Articles

Floating Button Get News On WhatsApp
Don`t copy text!