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Adityapur : आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में सीवरेज-ड्रेनेज का कार्य प्रभावित, डीपीआर में फॉरेस्ट लैंड का जिक्र नहीं होने के कारण आ रही बाधा

राशिफल

आदित्यपुर : सरायकेला जिले के आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में सीवरेज-ड्रेनेज परियोजना का काम डीपीआर में खामियों के कारण कई वार्डों में खटाई में पड़ता नजर आने लगा है. गौरतलब है कि राज्य के मंत्री सह स्थानीय विधायक चम्पई सोरेन के संज्ञान में मामला जाते ही वे सक्रिय हुए और जिला प्रशासन को पूरे परियोजना की मॉनिटरिंग का जिम्मा सौंप दिया है. उधर परियोजना के नियंत्रण की कमान मिलते ही जिले के उपायुक्त ने परियोना से जुड़े संवेदकों को निर्धारित मानकों के तहत परियोना के काम में तेजी लाने का निर्देश जारी कर दिया है. साथ ही पूरे निगम क्षेत्र में चल रहे कार्यों की समीक्षा भी कर रहे हैं. इधर लगातार उपायुक्त पूरी परियोजना की निगरानी भी कर रहे हैं. इसको लेकर एक टीम भी गठित की है. वहीं उपायुक्त के एक्शन में आते ही संवेदक द्वारा काम में तेजी लायी गयी है. इसका असर भी दिखने लगा है. साथ ही डीपीआर की खामियां भी उजागर होने लगी है. कई वार्डों में जलापूर्ति के लिए जलमीनार और पाइप लाइन के लिए खोदे जानेवाले गड्ढों के लिए फॉरेस्ट क्लियरेंस नहीं होने के कारण विभागीय दांव फंसने लगा है. वार्ड चार में इसकी समस्या विशेष रूप से सामने आ रही है, जहां संवेदक काम नहीं कर पा रहे. कारण फॉरेस्ट लैंड से क्लियरेंस नहीं मिलना बताया जा रहा है. उधर सीवरेज-ड्रेनेज और जलापूर्ति परियोजना से जुड़े संवेदकों ने डीपीआर में यहां फारेस्ट लैंड होने का जिक्र नहीं किए जाने की बात कही जा रही है. (नीचे भी पढ़ें)

एजेंसी की माने तो अभी चार से छः महीने का वक्त और लग सकता है. संवेदकों ने बताया कि वन विभाग की भूमि पर काम करने पर उन्हें विभागीय कार्रवाई और कानूनी दांव- पेंच का सामना करना पड़ रहा है. वहीं जिला स्तरीय जांच कमेटी की ओर से ऐसी समस्याओं से जिले के उपायुक्त को अवगत कराने की बात कही जा रही है. हालांकि ऐसे कई वार्ड हैं जहां इस तरह के पेंच परियोजना को खटाई में ला सकते हैं. अभी तो शुरुआत हुई है. लगभग साढ़े तीन सौ करोड़ की परियोजना को पूरा करने का समय बीत चुका है. पूरा नगर निगम क्षेत्र गड्ढों में तब्दील हो गया है. बरसात का मौसम शुरू हो गया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि परियोजना कबतक धरातल पर उतरती है और कबतक रिइंस्टॉलेशन का काम पूरा होता है और लोगों को नारकीय जीवन से मुक्ति मिलती है. हालांकि निगम का चुनाव अब महज डेढ़ साल बच गए हैं ऐसे में जनता जिम्मेदारी किसकी तय करती है ये तो आनेवाला वक्त ही तय करेगा. हालांकि वार्ड 4 के पार्षद, कि अगर माने तो बगैर पार्षदों से एनओसी लिए इतनी बड़ी परियोजना की डीपीआर तैयार करा दी गई, और अब मामले पर जब पेच फंस रहा है, तो स्थानीय पार्षद को सामने कर विभाग अपना काम निकालना चाह रहा है. वैसे क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़े वार्ड होने के कारण वार्ड 4 में कई प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, लेकिन अब कोई भी सामने आकर परियोजना पर बोलने को तैयार नहीं. जांच टीम के समक्ष वर्तमान और पूर्व पार्षद ही मौजूद रहे. वर्तमान पार्षद ने कहा कि उनके स्तर पर कई बार विभाग के पदाधिकारियों को अवगत कराया गया, लेकिन अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया. अगर समय पर मामले को गंभीरता से लिया जाता, तो अब तक जो पेच फंसा हुआ है वह क्लियर हो जाता. उन्होंने कोविड-19 के कारण डीएफओ से मुलाकात कर पाने में असमर्थता जताई, हालांकि उन्होंने भरोसा दिलाया है, कि अब उन्हें ही इस पर पहल करनी होगी.

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