Saraikela : जिला के आदित्यपुर थाना अंतर्गत इलाहाबाद बैंक द्वारा फर्जीवाड़े का मामला प्रकाश में आया है. बैंक पर एक ग्राहक शैलजा शाही के पति नरेंद्र कुमार शाही ने धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए आदित्यपुर थाने में एफआईआर दर्ज करायी है. बताया जाता है कि शैलजा शाही ने 6 दिसंबर 2014 को बैंक में छह वर्षों के लिए एक लाख रुपए का फिक्स डिपॉजिट कराया था, जिसकी निकासी उनके सेविंग अकाउंट नंबर 50215546759 से की गई थी. फिक्स डिपॉजिट का अकाउंट नंबर 5025013894 था.
वही मेच्युरिटी पूरा होने पर जब शैलजा शाही द्वारा अपने रुपयों का दावा किया गया तो बैंक की ओर से यह कहते हुए पैसे देने से मना कर दिया गया कि उनके मेच्युरिटी अमाउंट 1 लाख 22 हजार रुपए में से उनके चल रहे लोन अकाउंट 50270074 527 में समायोजित कर ली गयी है. जबकि शेष धनराशि 72 हजार रुपए सीसी अकाउंट नंबर 5027 010 323 दो में क्रेडिट कर दी गयी है.
बैंक के फर्जीवाड़े का खुलासा उस वक्त हुआ जब नवंबर 2019 को शैलजा शाही द्वारा लोन अकाउंट के माध्यम से अपनी अंतिम प्रीमियम 50 हजार की किस्त भरने के बाद एनओसी के लिए अप्लाई किया गया. साथ ही अपने फिक्स्ड डिपॉजिट अमाउंट को वापस दिए जाने की मांग की गई. उसे बैंक देने से आनाकानी करने लगा. नरेंद्र शाही ने बताया कि नवंबर महीने में जब ईएमआई जमा करायी गयी, तो दिसंबर में उनके खाते का एनपीए कैसे हुआ.
उन्होंने बताया कि इस पर बैंक ने कहा कि यह हम नहीं बता सकते. वैसे सीसी अकाउंट में 72 हजार रुपए डाले जाने के जवाब पर भी नरेंद्र कुमार शाही ने बैंक की भूमिका पर सवाल उठाते हुए शिकायत में दर्ज करायी है कि आखिर 2 साल पहले ही फिक्स डिपॉजिट की मियाद पूरी हो चुकी थी, तो इतने दिनों तक उनके पैसे कहां थे. हालांकि 72 हजार रुपए का प्रमाण भी बैंक नहीं दे सका. आपको बता दें कि इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में मर्जर हो चुका है.
बैंक के सभी पुराने अधिकारी एवं कर्मचारी इधर-उधर हो गए हैं. ऐसे में “बिल्ली के गले घंटी कौन बांधे” वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. नए मैनेजर, पुराने मैनेजर का मामला बता अपना पल्ला झाड़ रहे हैं. हालांकि ऐसे तीन-चार उपभोक्ता इलाहाबाद बैंक में जिरह करते देखे गए हैं. आदित्यपुर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और मामले की छानबीन में जुट गई है.