रांची : आदिवासी स्वशासन (माझी परगना) व्यवस्था में सुधार अविलंब अनिवार्य है. अन्यथा आदिवासी समाज में संविधान- कानून और जनतांत्रिक मर्यादा का उल्लंघन जारी रहेगा. कुछ नासमझ व्यक्ति और संगठन प्रथा- परंपरा आदि के नाम पर आदिवासी समाज में नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा, ईर्ष्या द्वेष, वोट की खरीद- बिक्री, आदिवासी महिला विरोधी मानसिकता, डंडोम (जुर्माना), बारोन (सामाजिक बहिष्कार), डॉन पनते ( डायन खोज ), वंशानुगत माझी- परगना व्यवस्था आदि को जोर जबरदस्ती चालू रखते हैं. जो संविधान कानून और मानव अधिकारों के खिलाफ है. (नीचे भी पढ़ें)
आदिवासी सेंगेल अभियान की केंद्रीय समिति ने फैसला किया कि केंद्र और राज्य सरकारों से जिलों के पुलिस- प्रशासन आदि के मार्फत अविलंब इसके सकारात्मक सुधार की मांग करेगा. सभी जिला पुलिस-प्रशासन और जनतांत्रिक, संवैधानिक मूल्यों के रक्षक नागरिकों और संगठनों का सहयोग लेगा. इस परिपेक्ष में 15 जून 2022 को झारखंड, बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम के 5 प्रदेशों के सभी आदिवासी बहुल जिलों के मुख्यालय में एक दिवसीय धरना- प्रदर्शन कर जिला के डीएम/ एसपी को सहयोगार्थ ज्ञापन- पत्र प्रदान करेगा. साथ में सेंगेल द्वारा 30 अप्रैल 2022 को इस संदर्भ में प्रकाशित “गुलामी से आजादी की ओर” पुस्तक भी प्रदान किया जाएगा.