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All-india-bank-strike : निपटा लें सारे काम, 15 व 16 मार्च को रहेगी बैंकों में हड़ताल, 20 फरवरी से 10 मार्च तक जिलों व कस्बों में धरना व रैली करेंगे बैंककर्मी

राशिफल

जमशेदपुर : बैंकिंग इंडस्ट्री में कार्यरत पांच वर्कमैन और चार अधिकारी यूनियन का संयुक्त मंच युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने केंद्र सरकार के आम बजट-2021 में प्रस्तावित निजीकरण का विरोध करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया है। इसके तहत आगामी 15 और 16 मार्च को 2 दिनों की हड़ताल का निर्णय भी शामिल है। पिछले नौ फरवरी को यूनियन की बैठक हुई, जिससमें उक्त निर्णय लिये गये। बैठक में आगामी 19 फरवरी को सभी राज्यों की राजधानियों में पूरे दिन का धरना, 20 फरवरी से 10 मार्च तक सभी राज्यों / जिलों / कस्बों में रैली धरना तथा 15 व 16 मार्च को दो दिन की देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की गयी है। यह जानकारी झारखंड प्रदेश बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के उप महासचिव हीरा अरकने ने दी. उन्होंने बताया है कि बैठक में उन सभी नेताओं और व्यक्तित्वों, कोरोना पीड़ितों और आंदोलनकारी किसानों को शोक व्यक्त करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए एक मिनट का मौन रखा गया, जो हाल के महीनों के दौरान अपनी जान गंवा चुके हैं। बैठक में किसानों द्वारा सरकार द्वारा लागू किए गए “कृषि कानूनों” के खिलाफ जारी आंदोलन पर चर्चा की गई। उनके संघर्ष के साथ एकजुटता व्यक्त की गई। बैठक में सरकार से उनके दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने और किसानों की मांगों के लिए सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने का आग्रह करने का संकल्प लिया। (नीचे भी पढ़ें)

हीरा अरकने ने बताया है कि बैठक में सरकार द्वारा नए श्रम कानूनों के कार्यान्वयन के साथ आगे बढ़ने, जिसमें कई मौजूदा श्रम अधिकारों को निष्क्रिय करने का प्रावधान है, पर चर्चा की गई। बैठक में सरकार से श्रमिकों के सभी मौजूदा मजबूत अधिकारों को बहाल करने का आग्रह किया गया। बैठक में केंद्र सरकार के बजट में आईडीबीआई बैंक के निजीकरण और दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के सुधार उपायों, बैड बैंक की स्थापना, “एल आईं सी” में विनिवेश, एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण, बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने संबंधी विभिन्न घोषणाओं पर चर्चा हुई। जनरल इंश्योरेंस में 74 प्रतिशत तक, आक्रामक विदेशी निवेश और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की बिक्री आदि पर भी गहन विचार-विमर्श किया गया। बैठक में कहा गया है कि ये सभी उपाय प्रतिगामी हैं और इसलिए इसके विरोध करने की आवश्यकता है। विचार-विमर्श के बाद बैठक में निर्णय लिया कि सरकार की इन नीतियों को वापस लेने के लिए गहन संघर्षत्मक कार्यक्रम और आंदोलनकारी कार्य शुरू किए जाने चाहिए।

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