जमशेदपुर : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और सरकार की एफडीआई नीति के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए अमेज़न को उत्तरदायी मानते हुए एक आदेश पारित किया. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थलिया ने कहा कि कैट ने एक लम्बे समय से अमेज़न को फेमा और सरकार की एफडीआई नीति के उल्लंघन का दोषी करार देते हुए एक अभियान पूरे देश में चला रखा है और हाईकोर्ट के आज के निर्णय ने कैट की इस धारणा को बेहद मजबूत किया है और एक तरह से कैट के आरोपों को पुष्टि मिली है. इन्ही आरोपों को लेकर कैट ने अभी हाल ही में वाणिज्य मंत्री, वित्त मंत्री, प्रवर्तन निदेशालय, रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया, सेबी आदि को आवश्यक सबूतों के साथ अमेज़न के खिलाफ शिकायत की थी और अमेज़न के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. श्री खंडेलवाल ने कहा की अब जब दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस बात को साफ़ कर दिया है कि अमेज़न ने फेमा और एफडीआइ पालिसी का उल्लंघन किया है, ऐसे में अब अमेज़न के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए ताकि अमेज़न दस्तावों के साथ कोई छेड़-छाड़ न कर सके. श्री सोन्थलिया ने कहा कि अमेज़ॅन ने भारत के ई-कॉमर्स व्यापार में जोड़ तोड़, जबरदस्ती, मनमानी और तानाशाही व्यापारिक नीतियों को अपनाते हुए ई-कॉमर्स के माध्यम से भारत के खुदरा व्यापार पर अपना कण्ट्रोल जमाने का कोई मौका नहीं छोड़ा और भारतीय कानूनों की जरा भी परवाह नहीं की. यहाँ तक की अमेज़न ने फ्यूचर समूह के साथ किये गए करार के दस्तावेजों को ऑथॉरिटी तक को नहीं दिया और हद तो तब हो गई जब सरकार की कोई अनुमति भी नहीं ली, जो कि कानूनन जरूरी थी. इससे अंदाजा लग सकता है कि अमेज़न के लिए भारतीय कानूनों के कोई मायने नहीं है कि ऐसी विदेशी कम्पनी को भारत में व्यापार करने की अनुमति देनी चाहिए ? सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. कैट ने अपनी शिकायत में बार-बार कहा है कि अमेज़ॅन ने बेहद चालाकी से फ्यूचर रिटेल के साथ समझौते में फेमा और एफडीआई नीति का उल्लंघन किया जिसे आज कोर्ट ने भी अपने आदेश में स्वीकार किया है. उच्च न्यायालय के निष्कर्षों से कि अमेज़ॅन ने फेमा नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन किया है, अमेज़ॅन जैसे प्रमुख ई-कॉमर्स कंनियों के खिलाफ अब सरकार को कड़ी कार्रवाई तुरंत करनी चाहिए.
amazon-case-अमेजॉन मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला, अमेज़न के मुद्दे पर दिल्ली उच्च न्यायायलय के निर्णय का कैट ने किया स्वागत
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