खबरअपनी सोच बदलें, बेटी नहीं होगी तो बेटे के लिए बहू कहां...
spot_img

अपनी सोच बदलें, बेटी नहीं होगी तो बेटे के लिए बहू कहां से लाओगे : हंसानंद महाराज

राशिफल

कमारीगोड़ा राधागोविंद मंदिर में सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा

चाकुलिया : स्थानीय नगर पंचायत के कमारीगोड़ा स्थित राधा गोविंद मंदिर परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन कथावाचक हंसानंद महराज ने कहा कि गणेश जी का पूर्ण नाम गोबर गणेश है. माता पार्वती गाय का प्रतीक है. भगवान गणेश का वास्तविक रूप गोबर में है. जहां अधिकांश गाय है वह गोकुल है. गाय केवल भारत में पायी जाती हैं. गाय के दूध में स्वर्ण पाया जाता है. अभी हम गाय नहीं काऊ पालते है. अधिकांश जर्सी नस्ल की होती हैं. जर्सी गाय जैसी दिखने वाली जीव है. गाय के शरीर पर हाथ फेरने से बीपी नोरमल हो जाएगा. जर्सी नहीं देसी गाय का पालन करो. प्राचीन काल में बच्चों का जन्म गोशाला में होता था इसलिए कि गाय एक मात्र ऐसी जीव है जो ऑक्सीजन देती है. बच्चे को ऑक्सीजन की अधिक जरूरत पड़ती हैं. इससे बच्चे का दिमाग भी तेज होता है. गाय हमारी संस्कृति है, मां का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति इतनी हावी हो गयी है कि आज की युवा पीढ़ी पुत्र ही चाहती है. पुत्री नहीं. अपनी सोच को बदलना होगा, नहीं तो अपने पुत्र के लिए बहु कहां से लाओगे. बेटा और बेटी एक समान हैं. कन्हैया के जन्म की कथा के पूर्व महराज ने नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की…., सारे मोहल्ले में हल्ला हो गया मइया यशोदा को लल्ला हो गया…,जियो श्याम लाला पिली तेरी पगड़ी रंग काला.., जैसे भजन पर श्रोता झूम उठे. इस क्रम में हंसानंद जी ने भगवान द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाना, राक्षसी पूतना का वध, कंश वध की भी कथा सुनायी. उन्होंने कहा कि श्री हरी ने बाल काल से ही दैत्य का वध किया, अधर्मियों की हत्या कर धर्म की स्थापना की है. कहा कि भगवान सुंदर है, इसलिये भगवान को श्यामसुंदर कहा जाता है. कहा कि भागवत में लिखा है कि भगवान पूतना को देखकर नेत्र बंद कर लिया.भगवान ने पूतना की स्तन पान करते करते उसकी प्राण हर ली.बालक आनंद देता है, भगवान ही जब बालक है तो नंदबाबा को कितना आनंद हुआ होगा जब भगवान ने पहली बार मईयां और बाबा कहा होगा.कहा कि माताओं की पेट में कुछ भी बात पचती नही क्योंकि ये युधिष्ठिर का शाप है. कहा कि भगवान के भक्ति रस को जो पियें उसे गोपी कहते हैं. भगवान द्वारा गोव र्धन पर्वत उठाने की कथा पर स्थानीय बच्चों ने कृष्ण और बाल सखा के रूप में सज धजकर झांकी प्रस्तुत की. पूरा मंदिर श्री कृष्ण के जयकारा से गूंज उठा. कथा को विराम देने के साथ ही आरती की गई और भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया. इस अवसर पर निर्मल दास, मणिशंकर  दास, तापस दास, पतित पावन दास, जयंत दास, गंगानारायण दास, मुन्ना सिंह, गोविंद दास, चन्द्रदेव महतो,कृष्णा दास, जलधर दास, लीलावती दास, प्रमीला दास, बादल दास, सुमित खामराई, गंगा गोप समेत अन्य उपस्थित थे.
2 Attachments

Must Read

Related Articles

Floating Button Get News On WhatsApp
Don`t copy text!

Discover more from Sharp Bharat

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading