ल्खनऊ : छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में 28 साल बाद आज फैसला आया. सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि मस्जिद विध्वंस सुनियोजित नहीं थी. बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह समेत 6 आरोपियों ने पेशी से छूट मांगी थी. उमा भारती और कल्याण सिंह कोरोना संक्रमण की वजह से अस्पताल में भर्ती हैं. ये सभी लोग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट की कार्यवाही में शामिल हुए. फैसले से पहले अदालत परिसर को त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरे में ले लिया गया. उच्च न्यायालय के कैसरबाग स्थित पुराने परिसर में विशेष सीबीआई अदालत के आसपास ज्यादातर चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई और कैसरबाग बस अड्डे की तरफ जाने वाली बसों का रास्ता भी बदला गया.
ये हुए बरी
इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साघ्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दूबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धमेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ व धर्मेंद्र सिंह गुर्जर आरोपी थे, जिन्हें अदालत ने बरी कर दिया है.
खुशी का माहौल
यह फैसला आने के बाद देश भर में खुशी का माहौल है. लड्डू बांटे जा रहे हैं. वहीं अयोध्या में राम लला जन्मभूमि, हनुमानगढ़ी जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठे. वहीं फैसला आने के बाद देश के केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद लाल कृष्ण आडवाणी के घर पहुंचे और उनसे मुलाकात की.