बहरागोड़ा : बहरागोड़ा स्थित महुलडांगरी के पास स्वणरेखा नदी से मिट्टी का कटाव होने से किसान त्रस्त हैं. यहां हर साल नदी की धार से हो रहे कटाव से 25-30 फूट खेत नदी में समा जाते हैं. कटाव से सुरक्षा के लिए तटबंध का निर्माण किया गया है. यहां के किसान एक और तटबंध निर्माण की मांग कर रहे हैं. मगर इसी स्थल पर रेत माफिया रात में बालू का अवैध उत्खनन धड़ल्ले से करवा रहे हैं. रात भर ट्रैक्टरों से बालू को ढोया जाता है. प्रशासन तमाशबीन बना है. इससे किसानों में भारी आक्रोश है. किसानों का कहना है कि बालू उत्खनन से मिट्टी के कटाव में और तेजी आएगी. वहीं सरकार को लाखों के राजस्व का नुकसान हो रहा है. नदी के किनारे से कुछ दूर रेत माफियाओं ने एक झोपड़ी बना रखी है. ठंड से बचने के लिए इसी झोपड़ी में रह कर रात भर बालू का उत्खनन करवाते हैं. नदी में कई जगहों पर बालू की ढेर सहज ही देखी जा सकती है. विदित हो कि इस इलाके में स्वर्णरेखा नदी की धार से पिछले एक 100 साल के दौरान पांच गांव विलुप्त हो गए हैं तथा लगभग 2000 बीघा खेत नदी में समा गये हैं. उक्त जमीन अब ओडिशा के लोगों के कब्जे में है, जबकि जमीन का खजाना बहरागोड़ा के उक्त गांवों के किसान आज भी देते हैं. पिछले 15 साल से महुलडांगरी के पास बरसात में मिट्टी का कटाव तेजी से होने लगा. इस कटाव को रोकने के लिए तटबंध का निर्माण कराया गया. परंतु तटबंध पर्याप्त नहीं है और नदी की धार से मिट्टी का कटाव बदस्तूर जारी है. इस क्षेत्र में नदी से हो रहा है बालू के अवैध उत्खनन और किनारे पर वाहनों के परिचालन से मिट्टी के कटाव में तेजी आने की आशंका किसान जता रहे हैं.