
जमशेदपुर : यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन द्वारा सोमवार को पुनः आम जनता और ग्राहकों को निजीकरण के खिलाफ जागरूक करने के लिए कदमा गोलचक्कर के समक्ष बैंक कर्मियों द्वारा जोरदार प्रदर्शन किया. इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको से आम आदमी को मिल रहे लाभ के संबंध में तथा निजीकरण के पश्चात होने वाले परेशानियों से अवगत कराया. वक्ताओं ने बताया कि 1969 के पहले बैंक पूंजीपतियों द्वारा चलाए जाते थे, बैंक में जमा पूंजी का उपयोग वे अपने व्यवसाय में लाभ कमाने के लिए करते थे, चुनिंदा जगहों पर बैंक की शाखाएं होती थी, गिने-चुने कर्मचारी होते थे. 1969 में कांग्रेस की सरकार ने बैंक यूनियन और लेफ्ट पार्टियों के आंदोलन और मांग के कारण देश हित में पूंजीपतियों/निजी हाथों से लेकर बैंको का राष्ट्रीयकरण किया. राष्ट्रीयकरण के बाद ही देश में आम आदमी बैंको में अपना खाता खुलवाने लगे, बैंको के मदद से बड़े बड़े कल कारखाने लगे और बेरोजगारों को रोजगार मिले, कृषकों को ऋण मिले जिससे उन्नत संशधानो से खेती हुई और देश खद्द्यान में निर्भर बना, बैंको में भारतीयों का दौर चला और पढ़े लिखे युवाओं को नौकरियां मिली और देश विकास के पथ पर अग्रसर हुआ. देश के दूर दराज के इलाकों में बैंक की शाखाएं खुली, जिससे लोगों को बैंकिंग सुविधाएं मिली. इन लोगों ने कहा कि आज की सरकार पुनः बैंकों को निजी हाथों के सौंपना चाहती है, जिससे बड़े पूंजीपति और औद्योगिक घराने बैंको के मालिक बन बैंक में जमा आम जनता के पूंजी का उपयोग अपने निजी जरूरत के अनुसार करे, निजीकरण से बैंको की शाखाओं को बंद भी किया जायेगा. कर्मचारियों और अधिकारियों की छंटनी की जायेगी. इन्ही कारणों से “युनाइटेड फॉर्म ऑफ बैंक यूनियन” के बैनर तले बैंक कर्मचारी और अधिकारी आंदोलन कर रहे हैं. नुक्कड़ सभा के अगले चरण में 4 फरवरी, को आदित्यपुर, आकाशवाणी चौक संध्या 5.15 बजे में आम जनता को जागरूक करने तथा निजीकरण का विरोध करने के लिए प्रदर्शन के साथ सभा से जायेगी.
आंदोलन की कड़ी में मंगलवार 2 फरवरी को संध्या 3.30बजे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, मुख्य शाखा बिष्टुपुर के कैंटीन परिसर में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया है. इस कार्यक्रम का संचालन संयोजक रिंटू रजक ने किया. सभा को डीएन सिंह, आरबी सहाय, रामजी प्रसाद, हीरालाल शर्मा, सुजय घोष ने संबोधित किया. हीरा अरकाने ने जोरदार नारे लगाकर सदस्यों का उत्साहवर्धन किया. इस बीच आम जनता द्वारा वक्ताओं ले बातें सुनने के लिए सड़क पर लोग खड़े रहे.