पटना: जमुई विधानसभा सीट पर पहले चरण में 28 अक्टूबर को मतदान होगा. नेताओं का प्रचार अंतिम चरण में पहुंच गया है. जमुई में खासकर राजपूत समुदाय का बोलबाला है. क्षेत्र से अब तक 10 बार राजपूत नेताओं ने प्रतिनिधित्व किया है. 2005 में पहली बार विजय प्रकाश ने जीत हासिल की. वे जयप्रकाश नारायण यादव के अनुज है. इस बार भी मुकाबला भाजपा और राजद के बीच होना है. इसके लिए दोनों पार्टियों ने शीर्ष नेताओं द्वारा जोरदार ढंग से प्रचार किया जा रहा है. भाजपा के विधायक कटने के बाद समीकरण बदलते नजर आ रहे है.
हालांकि भाजपा ने इस बार पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की पुत्री श्रेयसी सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. मुकाबला किसी के लिए आसान नहीं है.जमुई में जयप्रकाश नारायण यादव, सूबे के पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह व पूर्व मंत्री स्व. दिग्विजय सिंह की प्रतिष्ठा दांव है. लेकिन जमुई की धरातल पर भाजपा और राजद के बीच मुकाबला दिख रहा है. हलांकि भाजपा के विधायक का टिकट कटने से वे रालोसपा के ताल ठोक रहे है. वैसे सीट पर कुल 14 प्रत्याशी मैदान है. उनका भी इस क्षेत्र में वर्चस्व तो है लेकिन कितना वे वोट काट पाते है. वैसे बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार एंटीइनबेंसी की लहर है. अबदेखना है कि जदयू और भाजपा इसको कितना रोक पाती है. जदयू के खिलाफ बिहार के लोगों में काफी गुस्सा है लेकिन भाजपा के प्रति कुछ नरमी दिख रही है. शुरुआती दौर में बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अलग अलग जानकारों का कहना था कि इस बार भी जदयू- भाजपा सरकार बना लेगी.
जैसे जैसे चुनाव के दिन समीप आने लगे समीकरण बदलने लगे. इसी आधार पर सर्वे करने वालों के समीकरण भी बदल रहे है. इस आधार पर कहा जा सकता है कि राजद नेता तेजस्वी यादव ने 10 लाख लोगों को नौकरी देने की बात कही. इसके बाद से ही चुनाव प्रचार में तरह तरह के वादे किए जाने लगे, भाजपा ने 19 लाख लोगों को रोजगार से जोड़ने की बात कही गयी. बिहार विधानसभा चुनाव में रोजगार बना मुद्दा. इसी के इर्द गिर्द सभी नेता चुनावी सभा में बोल रहे है. हलांकि एनडीए के नेताओं को लग रहा था कि चुनाव में आसानी से बाजी मार लेंगे. लेकिन अब मुश्किल होता नजर आ रहा है. इसलिए कहा जा रहा है कि भाजपा- जदयू को इस बार राजद- कांग्रेस कड़ी टक्कर दे रही है. जीत हार का अंतर भी बहुत कम होगा.