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cait-protest-new-provisions-of-cheque-चेक बाउंस मामले को सरकार द्वारा गैर आपराधिक बनाने को लेकर कैट ने भेजा वित्त मंत्री सीतारमण को ज्ञापन, न केवल व्यापारी बल्कि आम लोगों को भी इएमआई देने में बड़ी परेशानी होगी

राशिफल

जमशेदपुर : कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे एक पत्र में इस बात पर गहरी आपत्ति जताई हैं जिसमें सरकार निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 को गैर आपराधिक बनाने का प्रस्ताव कर रही है. कैट ने देश भर के व्यापारियों की ओर से इस पर गहरा एतराज जताते हुए कहा की इस तरह के कदम से न केवल चेक की पवित्रता कम होगी बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत के बैंकिंग क्षेत्र को विश्वसनीय बनाने के प्रयासों को भी धक्का पहुंचेगा. कैट ने कहा है की भारत की वर्तमान व्यापार प्रणाली में बड़े पैमाने पर पोस्ट डेटेड चेक का चलन है जिसके द्वारा कम पूँजी वाले व्यापारियों को पोस्ट डेटेड चेक देने पर कुछ समय का उधार मिल जाता है जिससे उनका व्यापार कम पूँजी में भी चालू रहता है और समय आने पर पोस्ट डेटेड चेक के द्वारा वो अपना भुगतान कर पाते हैं. इस सम्बन्ध में कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थलिया ने कहा कि सरकार का यह कदम देश में छोटे मामलों को अदालत में न जाने एवं अदालतों पर से काम का बोझ कम करने के बारे में एक अच्छी सोच है किन्तु व्यापार से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण धारा 138 को गैर आपराधिक बनाने से उन लोगों के हौसलें बुलंद होंगे जो आदतन अपराधी हैं और चेक देकर व्यापारियों से सामान लेकर लापता हो जाएंगे और उनके चेक बाउंस होंगे. यदि इस धारा को गैर आपराधिक बना दिया तो इमानदार व्यापारी जो पोस्ट डेटेड चेक देकर माल लेता है, उसको बड़ी परेशानियां आएंगी. वहीँ दूसरी ओर देश में न केवल व्यापारी बल्कि आम लोग भी इएमआइ पर बहुत सामान एवं घर खरीदते हैं और इएमआइ के रूप में पोस्ट डेटेड चेक देते हैं और इस धारा को गैर आपराधिक बनाने से कोई भी पोस्ट डेटेड चेक स्वीकार नहीं करेगा. उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ सरकार ने हाल ही में धारा 143 और 148 को शामिल कर इस कानून को अधिक मजबूत बनाने की कोशिश की है जिससे शिकायतकर्ता की शकायत का निवारण हो सकें वहां दूसरी ओर धारा 138 में रियायत बेमानी होगी. श्री सोन्थलिया ने कहा कि पोस्ट डेटेड चेक का भारत के व्यापार में एक महत्वपूर्ण साधन है और यह एक तरह से क्रेडिट के लिए गारंटी के रूप में कार्य करके कार्यशील पूंजी की पर्याप्तता सुनिश्चित करते हैं. उन्होंने कहा की अगर चेक जारी करने वाले व्यक्ति की कोई आपराधिक देनदारी नहीं होगी तो यह व्यापार में बेईमानी को बढ़ावा देगी. इस धारा में रियायत से भारत के व्यापार के पूरे मूल सिद्धांतों को नष्ट कर दिया जाएगा और व्यापारियों को नागरिक मुकदमेबाजी की दया पर छोड़ दिया जाएगा जिसके तहत न्याय पाने के लिए कई साल लगते हैं धारा 138 में बड़े कड़े प्रावधान्न होने के बावजूद भी देश भर की अदालतों में चल रहे मामलों में 20% से अधिक मामले केवल चेक बाउंस की जांच से संबंधित हैं। यदि यह गैर आपराधिक हो जाता है तो इस प्रतिशत में अप्रत्याशित वृद्धि होगी. श्री सोन्थलिया ने कहा कि सरकार को वास्तव में भारत के करोड़ों व्यापारियों के सर्वोत्तम हित में चेक की पवित्रता को और मजबूत करने के लिए एक प्रणाली पर काम करना चाहिए जो अपने नियमित व्यवसाय के संचालन के लिए पोस्ट डेटेड चेक पर बहुत अधिक निर्भर हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के इस तरह के कदम से देश में आपूर्ति श्रृंखला पर गंभीर असर पड़ सकता है क्योंकि ज्यादातर व्यापारी इन पोस्ट डेटेड चेक के आधार पर क्रेडिट पर कारोबार करते हैं.

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