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chakradharpur-आजादी का अमृत महोत्सव का दूसरा दृश्य, चक्रधरपुर का कोटसोना गांव, जहां ग्रामीण खेती के जरिए करते है गुजारा, आधुनिकता के दौर में भी विकास से कोसो दूर, मरीज को खटिया पर लेटाकर अस्पताल ले जाते परिजन

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रामगोपाल जेना / चक्रधरपुर : हम आजादी के अमृत महोत्सव मना रहे है तो दूसरी ओर यहां की जनता बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे है. कहीं बिजली नही है तो कहीं पानी की समस्या तो कहीं सड़क की समस्या. एक ऐसे ही मामला चक्रधरपुर प्रखंड के कोटसोना गांव में देखने को मिला है. एक बीमार व्यक्ति को कंधे में लेकर लगभग ढाई किलोमीटर सफर कर फिर वाहन में लादकर अनुमंडल अस्पताल लाया गया. बीमार व्यक्ति का नाम गोमिया लोहार है. वही उनकी उम्र 62 वर्ष है. अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गयी थी. (नीचे भी पढ़ें व देखें वीडियो)

गांव में रहते है 200 परिवार-
कोटसोना गांव नक्सल प्रभावित क्षेत्र लांजी पहाड़ में बसा हुआ है. गांव में 200 परिवार रहते हैं. गांव में बिजली, पानी, सड़क और शिक्षा तक की व्यवस्था नहीं है. आज भी लोग खुले आसमान के नीचे गड्ढा खोदकर दूषित पानी पीने को मजबूर है. देश आजाद हुए 75 साल हो गया. लेकिन गांव जाने के लिए एक पक्की सड़क तक नहीं बन सका. ग्रामीणों ने गांव जाने के लिए मात्र 2.5 किलोमीटर पक्की सड़क निर्माण के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं. (नीचे भी पढ़ें व देखें वीडियो)

खेती कर परिवार चलाते हैं लोग-
कोटसोना गांव में निवास करने वाले तमाम लोग खेती करके अपना परिवार चलाते हैं. खेत में सब्जी, मक्का, धान आदि लगाकर उसे झरझरा हाट बाजार में बेचते हैं. साथ ही कई लोग वन उपज जैसे पता -दातुन बेच कर भी अपना परिवार चलाते हैं.

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