
जमशेदपुर : भगवान भास्कर यानी सूर्य देवता की पूजा का महापर्व छठ 20 नवंबर को मनाया जाएगा. चूंकि इस बार छठ महापर्व कोरोना संकट के बीच मनाया जायेगा. इसे लेकर राज्य सरकार की ओर से जो गाइडलाइन जारी की गयी है, उसे लेकर चारों तरफ विरोध शुरू हो गया है. सरकार की गाइडलाइन के बावजूद हिंदूवादी संगठनों समेत शहर के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न संगठनों ने अपना विरोध दर्ज कराते हुए नदी घाटों व तालाबों की सफाई शुरू कर दी. इस बीच 20 नवंबर को व्रती अस्ताचलगामी सूर्य देव को अर्घ देंगे. वहीं 21 नवंबर की सुबह उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ अर्पित करने के बाद व्रत खोलेंगे. इससे पूर्व इस महापर्व की शुरुआत 18 नवंबर को नहाय खाय के साथ हो रही है. दीपावली संपन्न होने के बाद अब लोग छठ महापर्व की तैयारियों में जुट गए हैं. नहाय खाय के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान करने के बाद नए वस्त्र धारण करेंगी. शाम को कद्दू-भात यानी सात्विक भोजन करेंगी. (आगे की खबर नीचे पढ़ें)
खरना 19 नवंबर को
उसके बाद कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की पंचमी यानी 19 नवंबर (गुरुवार) को खरना है. इस दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन व्रत रखेंगी और शाम को भोजन करेंगी. शाम को चावल व गुड़ से खीर बनाकर खायेंगी. इसके साथ अपने सगे-संबंधियों व ईष्ट-मित्रों के बीच भी प्रसाद का वितरण किया जाता है. उसके बाद 20 नवंबर को कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी छठ है. उस दिन व्रती महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी. दोपहर बाद नये वस्त्र धारण कर नदी घाट, तालाब, कुआं आदि के किनारे जा कर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ अर्पित करेंगी. वहीं 21 नवंबर को उदीयमान सूर्य देव को अर्घ अर्पित करने के बाद व्रत खोलेंगी. (आगे की खबर नीचे पढ़ें)
18 नवंबर (पहला दिन) : नहाय खाय
19 नवंबर (दूसरा दिन) : खरना
20 नवंबर (तीसरा दिन) : छठ (अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ)
21 नवंबर : (चौथा दिन) : उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ व महापर्व संपन्न. (आगे की खबर नीचे पढ़ें)
भले कोरोना को लेकर राज्य सरकार ने लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर सरकारी गाइडलाइंस जारी कर दिए हैं. लेकिन सरकार के आदेश के बाद राज्य भर में इसका विरोध भी शुरू हो चुका है. वहीं छठ व्रत की तैयारी में व्रती जुट गयी हैं. व्रती महिलाएं गेहूं सुखाने में जुट गयी हैं. कोरोना महामारी को देखते हुए राज्य सरकार ने गाइडलाइंस जारी कर नदियों एवं जलाशयों पर छठ पर्व मनाने से रोक लगा दी है. जबकि छठ पर्व नदियों एवं जलाशयों के तट पर ही सम्पन्न होता है. जहां अस्ताचलगामी एवं उदीयमान भगवान भाष्कर को अर्ध्य देने की परंपरा है. ऐसे में लोगों का कहना है कि सरकारी गाइडलाइन से छठ व्रतियों के साथ ही हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई है उधर विपक्ष और हिंदूवादी संगठन सरकार के इस फैसले को लेकर एक बार फिर से सड़क पर है वैसे सरकारी आदेश हो या ना हो लोक आस्था का महापर्व छठ होना है इसकी तैयारी में व्रती जुट गई है.