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झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक में घोटालों की फेहरिस्त में नये-नये घोटाले, किसानों के हिस्से की रकम खा गये पदाधिकारी

जमशेदपुर : झारखण्ड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक में लगातार घोटाले पर घोटाले हो रहे हैं. इस छोटे से बैंक में बैंक के अध्यक्ष एवं निदेशक मंडल तथा भ्रष्ट पदाधिकारियों की मिलीभगत से पांच सौ करोड़ से अधिक का घोटाला उजागर होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होने से घोटालेबाजों का साहस इतना बढ़ गया है कि विगत 9 अगस्त क्रान्ति दिवस पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को सूखा राहत भुगतान के लिए आयी राशि 50.50 (फिफ्टी-फिफ्टी) बंटवारा के फार्मूला के तहत 297 बैंक कर्मचारियों को ओवरटाईम वेतन भुगतान के रूप में दिखाकर 24 लाख 53 हजार रुपये का क्रान्तिकारी घोटाला कर डाला. जबकि ओवरटाईम मात्र 50 ऑपरेटरों ने ही किया था. इस बैंक के घोटालेबाज निदेशक मंडल तथा पदाधिकारी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किसानों के लिए लायी गयी इस महत्वकांक्षी योजना को भी अपनी रिश्वतखोरी की हवस का शिकार बना डाला. हद तो तब हो गयी जब बीमा की इस राशि से बैंक में सॉफ्टवेयर का काम देखने वाली एक ठेका कम्पनी के फूलन देव गिरि नामक एक एल वन सपोर्ट कर्मचारी को भी ओवरटाईम के नाम पर 8 अगस्त को बैंक की चक्रधरपुर शाखा में बचत खाता खोलवा कर 9 अगस्त को 12 हजार रुपये फसल बीमा राशि इस खाता में स्थानान्तरित कर दिया गया.

बिना स्वीकृति के गटक गये सूद के 66 लाख रुपये
झारखण्ड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक गठन से पूर्व जिला सहकारिता बैंकों के आमेलन के समय सभी जिलों में बैंक के ब्रांच टू हेड ऑफिस खातों का 25 वर्षों से पेंडिंग पड़ा है. मिलान का काम नहीं हुआ, जिसका लाभ उठाकर रांची खूंटी जिला सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में 66,17,963 (छियासठ लाख सत्रह हजार नौ सौ तिरसठ रुपये) के प्राप्ति योग्य सूद की राशि को बिना सरकार या बैंक प्रबंधन की स्वीकृति के खातों से गायब कर दिया गया. इस घोटाले से बड़े-बड़े लोगों के सूद उनके खाते से गायब दिखाकर सूद की राशि की बंदरबांट कर बैंक को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया.
आज भी बैंक प्रबंधन तथा अधिकारियों की नजर में यह सारा घोटाला है, पर इस 66 लाख की राशि की वसूली के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. उल्टे हर रोज नये-नये घोटाले इस बैंक में हो रहे हैं.

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