
देवघर : झारखंड सरकार द्वारा कृषि उत्पादन बाजार समिति पर लगाये गए शुल्क के विरोध में पूरे प्रदेश के व्यापारी आंदोलनरत हैं। इस शुल्क के विरोध में राज्यस्तरीय रणनीति के तहत प्रदेश के प्रत्येक जिले में आंदोलन चल रहा है। इसी क्रम में आंदोलन के चौथे चरण में आज 27 अप्रैल को पूर्वाह्न 9 से 11 बजे तक उपायुक्त कार्यालय के बाहर संताल परगना चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के तत्वावधान में देवघर के व्यवसायियों, किसान प्रतिनिधियों और व्यापारिक संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से धरना-प्रदर्शन किया गया। व्यापारियों ने कहा कि यह लड़ाई केवल खाद्यान्न व्यापारियों की ही नहीं है, अपितु पूरे व्यापारी समुदाय, किसान एवं आम जनता के हित की लड़ाई है। (नीचे भी पढ़ें)

संप चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष आलोक मल्लिक ने कहा कि इस धरना-प्रदर्शन के माध्यम से झारखंड सरकार के इस अव्यवहारिक कानून के खिलाफ व्यापारियों और किसानों के आक्रोश को स्वरित करते हुए आंदोलन को निर्णायक गति दिया जा रहा है। इस धरना के माध्यम से कृषि उपज, कृषि प्रसंकरन उद्योग, खाद्यान्न, गल्ला, किराना व्यापारियों के अलावा अन्य वर्गों के छोटे-बड़े सभी व्यापारी भारी संख्या में शामिल होकर अपनी एकता प्रदर्शित कर रहे हैं। कृषि विपणन विधेयक 2022 को वापस लेने और बाजार समिति शुल्क को लागू नहीं होने देने के लिए व्यापारी कृत संकल्पित हैं। इस आंदोलन में चैम्बर ने किसान प्रतिनिधियों के रूप में कृषक सहकारी समिति एवं कृषक उत्पादन संघ को भी साथ किया है। आज इनके प्रतिनिधि भी धरना में शामिल हुए। (नीचे भी पढ़ें)

धरना-प्रदर्शन में संप चैम्बर से उपाध्यक्ष संजय मालवीय, महासचिव प्रमोद छावछरिया, पंकज कुमार बर्णवाल, मनीष गुप्ता, बीरेन्द्र सिंह, विवेक अग्रवाल, आनंद साह, खुदरा दुकानदार संघ से सचिव संजय कुमार बर्णवाल, संजय रूंगटा, पवन बर्णवाल, अनिल केशरी, मधुपुर चैम्बर से सचिव मोती सिंह, अंकित लच्छिरामका, कन्नू अग्रवाल, उत्तम मोहनका, अशोक टिबड़ेवाल, बाजार समिति से अर्जुन अग्रवाल, सुमित सिंह, मोहन कुमार, राइस मिल से रमेश बाजला, धनंजय सिंघानियां, प्रदीप खेतान, कृषक सहकारी समिति से उदय महाराज, कृषक उत्पादक संघ से शिव प्रसाद चौधरी, मणिलाल आदि की भूमिका महत्वपूर्ण रही। धरना के पश्चात चैम्बर के अध्यक्ष आलोक मल्लिक, महासचिव प्रमोद छावछरिया ने अन्य व्यवसायियों के साथ मिलकर उपायुक्त कार्यालय के समाहरणालय पदाधिकारी को माननीय राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जिसमें 10 प्रमुख तथ्यों को उल्लेखित करते हुए कृषि विपणन विधेयक और इसके माध्यम से बाजार समिति सुविधा शुल्क के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की गई है।