जमशेदपुर : कोल्हान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल आए दिन विवादों में घिरा रहता है. सरकार और सरकारी तंत्र इस अस्पताल को सुधारने का लाख दावा कर लें, लेकिन यह अस्पताल भगवान भरोसे ही चल रहा है. राज्य के स्वास्थ्या मंत्री का गृह जिले के इस अस्पताल में कुव्यवस्था का आलम ऐसा है कि इसके विषय में बस यही कहा जा सकता है कि इस अस्पताल में इलाज कराने से बेहतर मौत है. करोडों रुपए सालाना बजट अकेले इस अस्पताल के लिए पारित किया जाता है, लेकिन जरा यहां की व्यवस्था तो देखिए. मरीज है, डॉ नहीं. डॉ है तो नर्स नहीं. सभी हैं, तो दवा नहीं. क्या-क्या बताएं, क्या क्या गिनाएं. हर दिन इस अस्पताल के दामन पर एक दाग लगता है. जिम्मेवार कौन ये तय नहीं. ताजा मामला देखिए इस अस्पताल की दो तस्वीरें आपको दिखा रहे हैं. पहला मामला देखिए पिछले दो घंटे से मारपीट के मामले में घायल एक महिला का पति इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहा है, लेकिन न तो इमरजेंसी में डॉक्टर हैं, न नर्स. वहीं ऑन ड्यूटी होमगार्ड का जवान यहां मरीजों का इलाज करते साफ देखा जा रहा है. वैसे कैमरा देखते ही जवान भाग खड़ा हुअ.
मारपीट का मामला गोलमुरी थाना क्षेत्र का है, जहां पानी को लेकर दो पड़ोसियों के बीच जमकर मारपीट हुई, जिसमें एक महिला घायल हो गई. उसे इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल लाया गया, जहां घंटों इलाज के लिए महिला का पति अस्पताल में इधर- उधर भटकता रहा. वहीं दूसरा मामला सरायकेला जिले के कांड्रा थाना क्षेत्र स्थित आधुनिक पावर प्लांट के समीप सड़क दुर्घटना मे अपना हाथ गंवा चुके एक टैंकर के चालक का है, जिसे एमजीएम अस्पताल की ओर से टाटा मुख्य अस्पताल रेफर किया गया और सुबह तक उसे टाटा मुख्य अस्पताल रेफर नहीं किया गया. घायल चालक के दर्द और तड़प को आप आसानी से समझ सकते हैं. जबकि घटना रात ढाई बजे की है. बताया जाता है कि शफीउर रहमान नामक टैंकर चालक नींद में सामने खड़े ट्रेलर में धक्का मार दिया था, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया था, जिसमें उसका एक हाथ कट गया है. जिसे करीब तीन बजे एमजीएम अस्पताल लाया गया था. जहां चिकित्सकों ने इलाज के दौरान उसे बेहतर इलाज के लिए टाटा मुख्य अस्पताल रेफर किया था. ऐसे में आप साफ समझ सकते हैं, कि सरकार और सरकारी तंत्र का दावा इस अस्पताल को लेकर कितना जवाबदेह है. वैसे इस संबंध में असप्ताल के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी कुछ भी बोलने से बचते रहे.