पटना : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने टीबी के खिलाफ अपनी लड़ाई की मुहिम को पूरी तरह से बदल कर इसे नया रूप दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में साहसिक, महत्वाकांक्षी और दृढ़ प्रतिबद्धताओं के साथ नए दृष्टिकोणों को अपनाया गया है। पिछले वर्ष स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने टीबी के मरीजों के उपचार की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए और व्यापक सपोर्ट सिस्टम्स तैयार करने के लिए अथक प्रयास किए हैं। अनेक पहलों के चलते ठोस नतीजे देखे गए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री चौबे भारत की टीबी वार्षिक रिपोर्ट 2020 प्रस्तुत कर रहे थे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन एवं केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री चौबे ने वार्षिक रिपोर्ट जारी की। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री चौबे ने बताया कि हमारी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) स्कीम (निक्षय पोषण योजना के तहत 45 लाख से भी अधिक लाभार्थियों को 553 करोड़ से भी अधिक सहायता राशि दी गई है), निजी क्षेत्र की भागीदारी, डायग्नोस्टिक नेटवर्क, नई दवाएं और रहन-सहन एवं आहार संबंधी नियम, डिजिटल इंटरवेंशन पर बल दिया गया है।
केंद्रीय मंत्री श्री चौबे ने कहा कि इस टीबी रिपोर्ट को आपके सामने प्रस्तुत करने में हर्ष की अनुभूति हो रही है। इस रिपोर्ट में पिछले साल के मुकाबले उल्लेखनीय उपलब्धियां देखने में आई हैं । इस कार्यक्रम के तहत, देश में टीबी के सभी मामलों को ऑनलाइन अधिसूचित करने का कार्य अब लगभग पूरा होने को है। इसमें 23.9 लाख रोगियों को अधिसूचित किया गया है । इनमें से 6.2 लाख रोगी अकेले निजी क्षेत्र से हैं । ड्रग रेजिस्टेंट – टीबी के उपचार के लिए 711 ड्रग रेजिस्टेंट टीबी केंद्रों को संचालनरत किया गया है। मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी के 66,359 मामलों का पता लगाया गया और इनमें से 56,500 (85%) मामलों को उपचार पर रखा गया, अर्थात् इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 7.6% सुधार आया है। उन्होंने बताया कि टीबी उन्मूलन का लक्ष्य हासिल करने के लिए जितना जल्दी हो सके, सटीक डायग्नोसिस और फिर इसके बाद तुरंत उपयुक्त उपचार प्रदान करना अतिआवश्यक है। इस कार्यक्रम के तहत, समूचे देश को कवर करने के लिए प्रयोगशाला नेटवर्क के साथ-साथ रैपिड मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक सुविधाओं को बढ़ाया गया है। टीबी के नमूनों के ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को भी काफी विस्तार दिया गया है, जिसमें नमूनों को पेरीफेरल स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों से टीबी डायग्नोस्टिक केंद्रों तक सही ढंग से पहुंचाने के लिए डाक विभाग की सेवाएं भी ली जाती हैं। इससे दवा के प्रति अति संवेदनशीलता की जांच करने से जुड़ी सेवाओं को भी विस्तार देने में मदद मिलेगी।