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indian-railway-भारतीय रेलवे का बड़ा फैसला, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के साथ अत्याधुनिक तकनीक से चलेंगी ट्रेनें, ड्राइवर सिर्फ निगरानी करेंगे, बैठकों में हुआ फैसला, टाटानगर स्टेशन में भी शुरू होगी पहल

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जमशेदपुर : इंडियन रेलवे एसएडंटी मैन्टेनर्स यूनियन (IRSTMU) की ओर से एक “नेशनल सेफ्टी वीडियो कांफ्रेंस” का आयोजन किया गया. इसमें देश भर के सभी जोनों तथा मंडलों के 602 एसएडंटी कर्मचारियों ने हिस्सा लिया. इस वर्चुअल कान्फ्रेंस के मुख्य अतिथि एएम सिग्नल तथा एएम टेली एलए राजीव शर्मा ने सम्मेलन को लगभग एक घंटे तक संबोधित किया तथा आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के साथ इंडियन रेलवे को अत्याधुनिक बनाने की संपूर्ण प्रक्रिया से हम एसएंडटी कर्मचारियों अवगत कराया. श्री शर्मा ने पूरे देश भर में लगाए जा चुके तथा लगाए जा रहे अत्याधुनिक उपकरणों की संपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि इंडियन रेलवे में अब तक 2000 स्टेशनों को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग से सुसज्जित किया जा चुका है. उन्होंने आने वाले भविष्य में कहां-कहां सेंट्रलाइज ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम लगाए जाने वाले हैं कि विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि आने वाले समय में ट्रेनें ऑटोमैटिक चलेंगी और ड्राइवर केवल बैठकर निगरानी ही करेंगे. टाटानगर में भी ऐसी व्यवस्था शुरू कियका जायेगा. आने वाले भविष्य एसएंडटी डिपार्टमेंट का है. गौरतलब है कि राजीव शर्मा 1981 बैच के आइआरएसएसइ हैं. पश्चिम रेलवे कैडर के राजीव शर्मा ने अपने कैरियर की शुरुआत पश्चिम रेलवे से शुरू की तथा कई नवीनतम तकनीकों को इंडियन रेलवे में इंस्टाल करवाया जो आज भी उतनी ही सफलता के साथ 35 साल बाद भी कार्य कर रहे हैं, जिसमें एडब्ल्यूएस (ऑग्जिलेरी वार्निंग सिस्टम) ट्रेनों को दुर्घटना से बचाने के लिए पश्चिम रेलवे तथा सेंट्रल रेलवे में मुम्बई में आज भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. उन्होंने यूरोपीय ट्रेन सिस्टम जो कि पहले ही दिल्ली-मथुरा सेक्शन में लग चुका है कि जानकारी दी. साथ ही उन्होंने भारतीय ट्रेन सिस्टम को डेवलप करने की बात बताते हुए कहा कि दक्षिण रेलवे में इसका प्रयोग जारी है. आगे जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि एक दो सालों में भारतीय रेलवे की सिग्नलिंग सिस्टम पूरी तरह से अत्याधुनिक हो जाएगी तथा भारत के एक मात्र सेंट्रल ट्रेन सिस्टम (सीटीएस) का विस्तार करते हुए पूरे भारतीय रेलवे में करीब 30 सीटीएस का इंस्टालेशन युद्धस्तर पर हो रहा है जिससे एक साल एक ही जगह से 30 से 35 स्टेशनों को सिग्नल दिया जा सकेगा और मानवीय भूल की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी. सेफ्टी पर बोलते हुए उन्होंने बताया कि सेफ्टी एक कल्चर है. भारत के सभी स्टेशनों पर मेकेनिकल इंटरलॉकिंग के स्थान पर बहुत जल्द इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग लगाने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी परन्तु सेफ्टी को और मजबूत करने के लिए अत्याधुनिक उपकरण लगाए जा रहे हैं जिससे रेलवे से दुर्घटना नाम की चीज ही खत्म हो जाएगी. इसके साथ ही हम प्रोटैक्टिव मेंटेनेंस की जगह पर प्रोडक्टिव मेंटेनेंस की ओर बढ़ रहे हैं. इसका प्रायोगिक प्रोटो टाइप वृंदावन स्टेशन पर लगाया गया है जहां लोकेशन बॉक्स में एक सेंसर लगाया गया है जो एमेजॉन क्लाउड पर लगातार डाटा भेजता है जो रिले रूम में लगे लैपटॉप के साथ कम्यूनिकेट करता है जैसे ही कोई उपकरण में खराबी आने वाली होती है. एक मेसेज जेनेरेट होकर सिग्नल इंजीनियरों तथा तकनीशियन को सूचना मिल जाती है और उपकरण को फेल होने से पूर्व ही उसे रिपेयर कर दिया जाता है. इंडियन रेलवे एसएडंटी मैन्टेनर्स यूनियन के महासचिव आलोक चंद्र प्रकाश ने बताया कि 28 नवम्बर, 2018 को जिस दिन राजीव शर्मा ने एएम सिग्नल का पद ग्रहण किया था, उसी दिन सिग्नल और टेलीकॉम कर्मचारियों को रिस्क तथा हार्डशिप अलाउंस दिए जाने के लिए एक पत्र जारी करते हुए सभी जोनों से पिछले तीन सालों में विभिन्न दुर्घटनाओं में मारे गए सिग्नल और टेलीकॉम कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी. जिस पर एएम सिग्नल तथा टेली राजीव शर्मा ने बताया कि सिग्नल तथा टेलीकॉम विभाग के कर्मचारियों को रिस्क तथा हार्डशिप अलाउंस जरूर मिलेगा.
संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन कुमार ने ग्राउंड लेवल पर कार्य करने वाले कर्मचारियों के साथ विडिओ कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ने के लिए एएम सिग्नल तथा टेली राजीव शर्मा का धन्यवाद किया.

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