Ranchi : रांची के पुंदाग स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड मैनेजमेंट (आईएसएम) में शुक्रवार को ‘नेत्रदान का महत्व और रहन-सहन स्तर में इसका प्रभाव’ विषयक पर वेबिनार का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि नीलाम्बर पीताम्बर विश्वविद्यालय, मेदिनीनगर के कुलपति प्रो आरएल सिंह ने कहा कि जीवन शैली में हो रहे निरंतर सुधार और बढ़ते साक्षरता दर के कारण नेत्रदान के प्रति लोगों की इच्छा प्रबल होती जा रही है. नेत्रदान एक सामाजिक जिम्मेदारी है और इसके प्रति लोगों में एक सकारात्मक सोच विकसित करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि नेत्र बैंक हर जिला में खुलना चाहिए. वेबिनार के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार व नेत्रदान जागरूकता क्लब के अध्यक्ष अनुज कुमार सिन्हा ने कहा कि सभी स्वस्थ लोगों को नेत्रदान अवश्य ही करना चाहिए. यह लोगों को मरणोपरांत 6 घंटे के अंदर होता है. इसमें आंख से केवल कॉरनिया निकाल कर अंधेपन से ग्रसित लोगो में लगाया जाता है. उन्होंने कहा कि आंख दान से कितने ही नेत्रहीन लोगों को जीवन दान मिलेगा. यह सबसे बड़ा पुण्य का काम है. लोगों को नेत्रदान के लिये आगे आना चाहिए.
इससे पूर्व आईएसएम के निदेशक डॉ गंगा प्रसाद सिंह ने स्वागत भाषण में कहा कि इस वेबिनार के आयोजन का मुख्य प्रयोजन नेत्रदान के महत्व और समाज में अपनी जिम्मेदारी निभाने संबंधी इस अद्भुत व दैविक कार्य के प्रति समाज में जागरूकता लाना है. उन्होने ने संस्थान के अध्यक्ष प्रो आरएके वर्मा के प्रति आभार प्रकट किया एवं कहा कि इनके मार्गदर्शन में संस्थान निरंतर लोगो में सामाजिक जागरूकता का कार्य करता आ रहा है.
मुख्य वक्ता कश्यप मेमोरियल आई बैंक रांची की निदेशक व नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ भारती कश्यप ने विशेष व्याख्यान में बताया कि भारत में प्रति हजार शिशुओं मे 9 शिशु नेत्रहीन जन्म लेते हैं. देश में प्रति वर्ष 30 लाख लोगों की मौत होती है. यदि इन 30 लाख लोगों में से सिर्फ एक प्रतिशत यानी सिर्फ 30 हजार लोगों ने भी नेत्रदान किया तो हमारे देश से अन्धापन खत्म हो जायेगा. किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति चाहे वह पुरुष है या स्त्री, गरीब है या अमीर, किसी भी धर्म या जाति का हो, नेत्रदान की शपथ ले सकता है. डॉ. कश्यप ने बताया कि जो व्यक्ति डायबिटीज (शुगर) या हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हो, चश्मे या कान्टेक्ट लैंस पहनते हों, जिन लोगों की कैटेरेक्ट की सर्जरी हो चुकी हो, वे भी अपने नेत्रदान करने की शपथ ले सकते हैं. अगर कोई व्यक्ति मृत्यु पूर्व एचआईवी पॉजिटिव, हेपेटाइटस बी या सी, ब्लड कैंसर, सैप्टीसिमिया से पीड़ित हो या 48 से 72 घंटे वैन्टीलेटर पर हो तो उनकी आँखें दान नहीं की जा सकती है. उन्होंने नेत्र दान एवं इसके प्रत्यारोपण से संबन्धित विधि को सलाईड के माध्यम से विस्तार से समझाया.
अतिथथि वक्ता डॉ निधि गडकर कश्यप ने बताया कि मृत्यु के पश्चात जल्द से जल्द 4 से 6 घंटे के अन्दर नेत्र-दान करवा देना चाहिए. मृत शरीर जिस कमरे में रखा हुआ हो उस कमरे में पंखे बंद कर देना चाहिए और अगर एसी लगा हो तो चालू कर देना चाहिए. मृतक की पलक बंद करके रखनी चाहिए और आंखों को नम बनाये रखना चाहिए. सिर ऊंचा रखना चाहिए और एड्स, हेपेटाइटिस आदि रोगों की जांच के लिए मृतक के रक्त का नमूना ले लेना चाहिए. वेबिनार में आये सभी अतिथियों का स्वागत प्रो पूजा कुमारी गुप्ता तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो अनिमेष सरकार ने किया. वेबिनार में संस्थान के संयुक्त सचिव प्रो डॉ सुशील कुमार, विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विश्वनाथ बिड, रूद्र नारायण भंजदेव समेत 135 लोगों ने भाग लिया.