जमशेदपुर : आज जमशेदपुर में पत्रकारिता की नींव रखने वाले पत्रकार स्वर्गीय गंगाप्रसाद ‘कौशल’ की जयंती है। कौशल जी ने 26 जनवरी 1953 में साप्ताहिक समाचार पत्र ‘आज़ाद मज़दूर’ का प्रकाशन शुरू किया, जो अब भी जारी है। इससे पहले वे टाटा वर्कर्स यूनियन के समाचार पत्र ‘मज़दूर आवाज’ के संपादक थे। 1975 तक उन्होंने ‘आज़ाद मज़दूर’ का संपादन, प्रकाशन एवं मुद्रण किया। हार्टअटैक से 2 मई 1975 में उनका देहांत हो गया। आज उनकी जयंती के अवसर पर ‘कविवर कौशल समाजसेवा’ संस्था द्वारा शहीद पत्रकार शंकरलाल खीरवाल की 95 वर्षीय पत्नी ज्ञानधारी देवी खीरवाल को चाईबासा स्थित उनके घर में जाकर सम्मानित किया गया। संस्था की ओर से उन्हें ‘आयरन लेडी’ का सम्मान दिया गया। उन्हें पत्रकार कवि कुमार ने शाल उढ़ा कर सम्मानित किया। (नीचे भी पढ़ें)
इस मौके पर शहीद पत्रकार की पत्नी ज्ञानधारी देवी खीरवाल भावविभोर हो गयीं। उन्होंने कहा कि यह सम्मान उनका नहीं बल्कि पत्रकारिता के लिए अपनी जान देने वाले उनके पति शहीद शंकर लाल खीरवाल का सम्मान है। उन्होंने कहा कि अबतक जमशेदपुर से कोई भी पत्रकार उनकी खबर लेने नहीं आया। आज वे काफी प्रसन्न हैं। उन्हें ऐसा लग रहा है कि उनके पति शहीद शंकरलाल खीरवाल की कुर्बानी को आज किसी ने समझा और उन्हें सम्मान दिया। उन्होंने बताया कि 1974 में उनका परिवार रात के वक्त जुगसलाई चौक स्थित अपने घर में चैन की नींद सो रहा था तभी तीन हत्यारों ने घर में प्रवेश किया और उनके पति ‘नया रास्ता’ के संपादक शंकरलाल खीरवाल की गर्दन रेतकर उनकी हत्या कर दी। उन्होंने अपने पति को बचाने का प्रयास किया इस क्रम में हत्यारों ने उनके चेहरे पर तलवार का वार किया। जिससे उनके गाल और जीभ कट गई। काफी समय तक वे बातचीत नहीं कर सकीं। वे अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर अपने पैतृक आवास चाईबासा चली आईं तथा यहां उनका भरण पोषण कर बड़ा किया। उनके तीन बेटियां और दो बेटें हैं। उनके बड़े पुत्र उमेश खीरवाल प्रिंटिंग प्रेस चला रहे हैं तथा छोटे पुत्र नरेश खीरवाल पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके पति शंकर लाल खीरवाल और पत्रकार गंगाप्रसाद ‘कौशल’ काफी गहरे मित्र थे। (नीचे भी पढ़ें)
इस मौके पर पत्रकार कवि कुमार ने कहा कि ज्ञानधारी देवी खीरवाल ने नया रास्ता के प्रकाशन में अपने पति शहीद शंकर लाल खीरवाल की मदद कंधे से कंधा मिलाकर की। वे जब निराश हो जाते थे उस समय ज्ञानधारी देवी खीरवाल ही उनकी हिम्मत बढ़ाती थीं। पति की हत्या के बाद उन्होंने अकेले ही अपने बच्चों को पालपोस कर बड़ा किया और एक अच्छा नागरिक बनाया। अपने पति के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने एक पुत्र को पत्रकार बनाया। इन्हीं सब कारणों से हमारी संस्था ज्ञानधारी देवी खीरवाल को आयरन लेडी मानती है और उन्हें यह सम्मान दिया जा रहा है। यह सम्मान देते हुए हम खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। इस अवसर पर जमशेदपुर से सीनियर प्रेस फोटोग्राफर रतन चंद भट्टाचार्य तथा संतोष कुमार भी चाईबासा पहुंचे। समारोह में शहीद पत्रकार शंकर लाल खीरवाल के पुत्र उमेश खीरवाल, नरेश खीरवाल तथा उनके परिवार के सभी सदस्य मौजूद थे।