jamshedpur-achievement-टाटा स्टील के सुरक्षाकर्मी मजहरुल बारी ने बाइक से दुनिया के ऊंचे खारदुंग ला दर्रा किया पार, देशभर में मिली पहचान- अब तक नहीं मिला सम्मान, जानें कौन हैं मजहरुल बारी

राशिफल

कुमारी अंजलि
जमशेदपुर : जमशेदपुर के कदमा निवासी स्कूबा डाइवर मजहरुल बारी बाइक एक्सपीडिशन से वापस लौटकर जमशेदपुर आ चुके है. वे शनिवार सुबह रांची से होते हुए जमशेदपुर पहुंचे. टाटा स्टील सिक्योरिटी विभाग में कार्यरत सब इंस्पेक्टर मजहरुल बारी शार्प भारत से बात करते हुए बताते हैं कि उनका खास उद्देश्य गो ग्रीन, सेव ट्री व पर्यावरण संरक्षण का संदेश है. उन्होंने दुनिया के सबसे ऊंचे खारदुंग ला दर्रा (18380 फीट ) को अपनी बाइक से पार किया है. यह कार्य आसान नहीं था. वहीं वे बताते हैं कि उनका उद्देश्य उमलिंगा दर्रा (19300 फीट) को भी पार करना था, परंतु वहां जाने का रास्ता बंद कर दिया गया था. इस कारण वे चीन के बॉर्डर पर ही रुक गए. उन्होंने बताया कि उनकी यात्रा की शुरुआत 23 मई को जमशेदपुर से हुई थी. जमशेदपुर से वे अमृतसर गए. अमृतसर से जम्मू और फिर वहां से उनकी यात्रा बाइक से शुरू होती है. इस दौरान बाइक से वे बारालाचा ला दर्रा, नाथुला दर्रा समेत लगभग 20 माउंटेन पास (दर्रा) को पार किया. वे अकेले बाइकिंग से 12 दिन की यात्रा पूरी कर जमशेदपुर लौटे हैं. (नीचे भी पढ़ें)

स्कूबा डाइवर के नाम से हैं मशहूर-
उन्होंने बताया कि वे स्कूबा डाइवर के रूप में शहर में ही नहीं बल्कि झारखंड समेत पूरे भारत में जाने जाते हैं. उन्होंने स्कूबा डाइवर की डिग्री अंडमान निकोबार में हासिल की है. टाटा स्टील की टाटा रिलीफ कमेटी द्वारा अंडमान में उन्होंने 15 दिन का कोर्स किया, जिसके बाद उनकी लगन व मेहनत ने उन्हें डाइवर के रूप में खड़ा किया. वे केवल डाइवर ही नहीं बल्कि उन्होंने इस दौरान कई लोगों की जान बचाई है. अब तक वे देशभर में लगभग 400 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर बचा चुके हैं. उन्होंने जमशेदपुर समेत झारखंड से लगभग 350 से ज्यादा लोगों को बचाया है. वे बताते कि 2008 में आदित्यपुर में बाढ़ आयी थी उस वक्त उन्होंने टाटा स्टील एडवेंचर डिपार्टमेंट के सहयोग से 65 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था. उन्हें कई बार गुजरात, तमिलनाडु, ओडिशा, बंगाल, बिहार से भी लोगों को राहत बचाव कार्य के बुलाया जाता है. (नीचे भी पढ़ें)

स्कूली शिक्षा-
जमशेदपुर के कदमा निवासी मजहरुल बारी बताते हैं कि उन्होंने 1988 में बर्मामाइंस के बीपीएम हाई स्कूल से 10वीं पास की है. वहीं इंटर की पढ़ाई उन्होंने करीम सिटी कॉलेज से की है. उसके बाद 1990 में उन्हें टाटा स्टील के सिक्योरिटी विभाग में नौकरी मिली. उसके बाद ही उन्होंने स्कूबा डाइवर की कला भी सीखी, जिसका परिणाम है कि उन्हें स्कूबा डाइवर के नाम से भारत में जाना जाता है. यह कार्य यूथ के लिए बेहद प्रेरणादायी है और उनकी मांग है कि सरकार द्वारा उन्हें सम्मानित किया जाए. जो अभी तक न तो किसी संस्था ने किया है और न ही उन्हें सरकार की ओर से सम्मानित किया गया है. मजहरुल बारी आज के यूथ के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं, अपनी जान जोखिम में डालकर वे लोगों को बचाते हैं. इसके लिए सरकार की ओर से उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिए.

Must Read

Related Articles

Don`t copy text!