जमशेदपुर : जमशेदपुर में ज्योतिष शिक्षण संस्थान (सीएएसएआर) जमशेदपुर के छात्रों द्वारा वैदिक मंत्र के सामूहिक पाठ के साथ जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित राम मंदिर परिसर में 29 वें अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन का शुभारंभ हुआ. इस तीन दिवसीय सम्मेलन में देश-विदेश से आए लगभग 200 प्रख्यात ज्योतिषियों के साथ-साथ स्थानीय ज्योतिष शिरकत कर अपने-अपने अनुभवों को साझा करेंगे. उदघाटन सत्र को इसरो के वैज्ञानिक ओपी पांडेय ने मुख्य अतिथि के रुप में दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया. उदघाटन सत्र में नेपाल से आए राजगुरु डॉ माधवभट्टराई, वर्ल्ड ऐस्ट्रो फेडरेशन नेपाल के डॉ लोक राज पाडेल, दिल्ली से आए एस्ट्रोलॉजर कॉन्ग्रेस इंडिया चैप्टर के चेयरमैन डॉ भारत भूषण भारद्वाज, कोलकाता से आए एसकेएवीएसए एस्ट्रॉलॉजी के अध्यक्ष डॉ अभिज्ञान आचार्य, अगरतला से एअआरआइकेपी अगरतलात्रिपुरा के फाउंडर मेंबर डॉ विश्वजीत भट्टाचार्य, श्याम एस्ट्रोलोजी सेंटर के संस्थापक डॉ श्याम सुंदर बाघा को आदरणीय अतिथि के रूप में सम्मानित किया गया. उदघाटन सत्र में कैसर के संस्थापक डा एसके शास्त्री ने कांफ्रेंस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वह भी पूर्व में ज्योतिष को नहीं मानते थे, परंतु जीवन में होने वाले कुछ घटनाक्रमों की सामयिक सटीकता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस विद्या में प्रवीणता हासिल करने का निर्णय लिया तथा शास्त्र को समाज में एक नई ऊंचाई देने के उद्देश्य से वर्ष 1993 में जमशेदपुर में सीएएसएआर नाम से ज्योतिष शिक्षण संस्थान की शुरुआत की तथा उसी समय से प्रत्येक 2 या 3 वर्षों के अंतराल पर जमशेदपुर में एक अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन भी शुरु किया गया, जिसमें देश और विदेश के विभिन्न क्षेत्रों से प्रख्यात ज्योतिषियों के साथ-साथ स्थानीय ज्योतिष शिरकत करते हैं. आज के सत्र मे विदेशों से आए सभी ज्योतिषियों को सम्मानित किया गया. सत्र के अंत में मुख्य अतिथि ओपी पांडेय, जो इसरो के वैज्ञानिक होने के साथ-साथ भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय में सलाहकार भी हैं. उन्होंने भारत सरकार मे ज्योतिष के क्षेत्र में चल रही वर्तमान गतिविधियों के आधार पर जानकारी साझा किए कि भारत सरकार के पास उपलब्ध आंकड़े के अनुसार पूरे भारतवर्ष में अभी कुल 11,42,898 ज्योतिष, वैयक्तिक या संस्था के तौर पर असंगठित रूप से कार्य कर रहे हैं. उन्होने आगे बताया कि चूंकि, ज्योतिष पूर्णतया विज्ञान आधारित है. अतः इसे एक संगठित सेक्टर के रूप में स्थापित करने की आवश्यकता है तथा इसके लिए भारत सरकार गंभीर है. जल्द ही ज्योतिष शास्त्र को वैज्ञानिक शिक्षा पद्धति के रूप मे मान्यता देने के साथ साथ इससे जुड़े वैयक्तिक या संस्थागत व्यवसाय को संगठित सेक्टर के रूप में स्थापित करने हेतु गहन चिंतन किया जाएगा. आगे उन्होंने बताया की ज्योतिष शास्त्र में बहुत सारा महत्वपूर्ण ज्ञान अभी भी संस्कृत भाषा में ही उपलब्ध है तथा संस्कृत के प्रति उपेक्षा के कारण यह ज्ञान आमजन तक नहीं पहुंच पा रहा है. अतः सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में संस्कृत विषय की पढ़ाई को अनिवार्य कर दिया है. दूसरे सत्र मे पारंपरिक ज्योतिष एवं कृष्णमूर्ति पद्धति पर प्रश्नोत्तरी का खुला सत्र आयोजित किया गया, जिसमे देश-विदेश से आए सभी ज्योतिषियों ने भाग लिया इसके बाद लगभग 23 ज़्योतिषियों ने मंच से अपने अनुभवों को साझा किया. कार्यक्रम के सफल संचालन में मीडिया प्रभारी विजय कुमार, सुशील शर्मा, डॉ सुरेश कुमार झा, राकेश तिवारी, मुरली कृष्णा, अभिजीत चक्रवर्ती का महत्त्वपूर्ण योगदान था.