jamshedpur-Bansi- Music- Foundation- शास्त्रीय संगीत संस्था बंसी म्यूजिक फाउंडेशन का 10वां वार्षिक संगीत समारोह आयोजित, कलाकारों की प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध हुए दर्शक

राशिफल

जमशेदपुर: जमशेदपुर के शास्त्रीय संगीत संस्था बंसी बोस म्यूजिक फाउंडेशन , जमशेदपुर का 10 वां “वार्षिक संगीत समारोह- 2022” का आयोजन बिष्टुपुर स्थित महाराष्ट्र हितकारी मंडल के सभागार में किया गया. संस्था के सचिव सुभाष बोस ने स्वागत भाषण में कहा कि वार्षिक कार्यक्रम शहर के जाने माने सितार वादक स्वर्गीय बंसी बोस की 25वे पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में समर्पित किया जा रहा है. कार्यक्रम का शुभारंभ गणेश के मूर्ति पर एवं स्वर्गीय बंसी बोस के चित्र पर माल्यार्पण किया गया. देश के महान संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा जी को दो मिनट की मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गई. सम्मानित अतिथि अनिरुद्ध सेन, रोहिणी साठे, पूर्वी घोष, केवल कृष्णा एवं उपाध्यक्ष शांतनु सरकार, बंगाल क्लब के अध्यक्ष तापश मित्र मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. उन्होंने संस्था की ओर से अतिथि कलाकारों को सम्मानित किए एवं संस्था को अपनी ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया.कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति में शहर की उभारते हुए शास्त्रीय संगीत गायिका सुश्री श्रीजनी बासु ने अपनी पहली प्रस्तुति में राग शुद्ध कल्याण पर विलंवित एक ताल में “बोल न लागी…..” एवं द्रुत बंदिश “बाजो रे बाजो मंदरवा ……” गायन पेश किये.अंत में एक राम भजन के साथ श्रीजनी ने अपने कार्यक्रम को विराम दिया.श्रीजनी के प्रस्तुति से श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए. उनके साथ हारमोनियम पर मनमोहन सिंह एवं तबले पर कार्तिकेय मिश्रा ने बेहतरीन संगत दी.(नीचे भी पढ़े)


कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति में आईसीसीआर से मान्यता प्राप्त शहर के प्रख्यात तबला वादक प्रदीप भट्टाचार्जी के 4 युवा शिष्यों के द्वारा प्रदीप भट्टाचार्जी के निर्देशन में तबला सामूहिक जुगलबंदी कार्यक्रम “स्पेक्ट्रम” दमदार की प्रस्तुति दी गयी. इस विशेष कार्यक्रम में नीतीश भट्ट , प्रमोद बारीक़ , आकाश रंजन एवं हृषीक भट्टाचार्जी के तबला वादन दर्शकों की खूब तालियां बटोरी. अंत में सितार वादन की महफ़िल सजी जिसमें देश के विख्यात सितार वादक पंडित देबोजीत चक्रवर्ती ने राग कौशि कनाड़ा में आलाप, जोड़ , झाला इसके उपरांत बिलंबित तीन ताल एवं द्रुत तीन ताल में बंदिशे पेश किये. उनकी तानकारी, द्रुत झाला, सुर एवं ताल का समन्यव शानदार देखने को मिला. राग माज खमाज में ठुमरी की सुरीली प्रस्तुति से उन्होंने अपना वादन समाप्त किये. तबले पर पंडित कुमार बोस के शिष्य उज्जल भारती ने सराहनीय संगत किये. सितार एवं तबले के “साथ संगत” एवं “सवाल जवाब” के जादू ने श्रोताओं को झूमने के लिए मजबूर कर दिया. जब पंडित देबोजीत ने सितार की तारों से खेलना शुरू किया तो वहां बैठा हर श्रोता अपनी स्थान से मानो बंध गया उस पर तबले की संगत. फिर हर सम पर तालियों की गड़गड़ाहट. रात बढ़ने के साथ ही सभागार का पूरा माहौल संगीतमय हो गया. सभागार में उपस्थित श्रोतागण पंडित देबजीत चक्रवर्ती के सितार की झंकार से मंत्र मुग्ध हो उठे. कार्यक्रम का सफल संचालन अंतरा बोस ने की. कार्यक्रम को सफल बनाने में सुभाष बोस, अमिताभ सेन, सौरव लाहिरी, अशोक बोस, रवि साठे आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई.

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