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jamshedpur Bhagwat Katha साकची अग्रसेन भवन में राजा परीक्षित मोक्ष के साथ भागवत कथा का विश्राम, श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालु को किया मंत्रमुग्ध

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जमशेदपुर: साकची श्री अग्रसेन भवन में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन रविवार को सुदामा चरित्र, राजा परीक्षित मोक्ष, द्धारिका लीला, यदुवंश को श्राप, शुकदेव जी की विदाई आदि  के सुंदर प्रसंग के साथ भागवत कथा का आज विश्राम हो गया. संगीतमय कथा का वर्णन सुनकर भक्त भाव विभोर होकर झूमने लगे. वही सुदामा चरित्र की कथा में भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनकर कथा स्थल में उपस्थित श्रद्धालु भावुक हो गए. महाराज श्री ने श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालु को मंत्रमुग्ध किया. कहा कि भगवान श्रीकृष्ण को सुदामा के गले लगा देखकर प्रहरी और नगरवासी अचंभित हो गए. भगवान कृष्ण-सुदामा को अपने साथ रथ पर बैठाकर महल के अंदर लेकर पहुंचे और मित्र को सिंहासन पर बैठाकर खुद नीचे बैठ गए. भगवान श्रीकृष्ण को नीचे बैठा देखकर उनकी रानियां भी दंग रह गई, कि कौन है जिन्हें भगवान सिंहासन पर बैठाकर खुद नीचे बैठे हैं. भगवान कृष्ण ने आंसुओं से मित्र के पैर धोए और पैर से कांटे निकाले. राजा परीक्षित के मोक्ष के प्रसंग का बखान करते हुए कथा वाचक ने कहा कि मोक्ष की कामना प्रत्येक मनुष्य करता है, लेकिन सभी को सही राह नहीं मिलती है. भागवत महापुराण कथा एक ऐसा मार्ग है जो प्रत्येक को मोक्ष की ओर ले जाती है.(नीचे भी पढ़े)

राजा परीक्षित को मिले श्राप से हुई मृत्यु के बाद भी कथा सुनने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. इसलिए कलयुग में मोक्ष की कामना करते है तो श्रीमद् भागवत महापुराण कथा से श्रेष्ठ मार्ग कोई नहीं है. राजा परीक्षित ने सात दिन तक मन से कथा श्रवण किया. परीक्षित को ऋषि के श्राप के कारण तक्षक नाग ने काटा और उनके जीवन का अंत हो गया। कथा के प्रभाव से उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ और नाम अजर-अमर हो गया. अग्रवाल (नोपाका) परिवार गांवाड़ी निवासी द्धारा आयोजित सातों दिन भागवत कथा को सफल बनाने में विश्वनाथ अग्रवाल, ओमप्रकाश अग्रवाल, कैलाशनाथ अग्रवाल, श्याम सुंदर अग्रवाल, शंकर लाल अग्रवाल, विनोद खन्ना, दमोदर प्रसाद अग्रवाल, अमरचंद अग्रवाल, परमानंद अग्रवाल, विनोद कुमार अग्रवाल, राजेश कुमार अग्रवाल, सुरेश कुमार अग्रवाल, सुभाष अग्रवाल, दिलीप अग्रवाल, आानन्द अग्रवाल, श्रवण कुमार अग्रवाल, कृष्ण कुमार अग्रवाल, आशीष अग्रवाल, अमित अग्रवाल, सुमित कुमार अग्रवाल आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा। रविवार को भी काफी संख्या में भक्तगण शामिल होकर देर शाम तक कथा का आनन्द लिया.

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