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jamshedpur-birsanagar-water-बिरसानगर मोहरदा जलापूर्ति के इंटक वेल में लोहे की जाली लगाने का प्रगति देखने पहुंचे विधायक सरयू राय, समस्या हो सकता है दूर

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जमशेदपुर : जमशेदपुर के बिरसानगर मोहरदा पेयजल परियोजना के इंटेक वेल में लोहे की जाली लगाने के कार्य में प्रगति का निरीक्षण किया. नदी में जल प्रवाह कम हो जाने से इंटेक वेल के चारों और शैवाल और कूड़ा-कचड़ा इकट्ठा हो गया है. पानी का रंग भी वहां काला होलियां है. वेल के डिज़ाइन में त्रुटि के कारण जल प्रवाह के साथ कूड़ा-कचरा का रूख इंटेक वेल की ओर हो जा रहा है. फलतः नदी जल को साफ़ कर पीने लायक़ बनाने में काफ़ी कठिनाई आ रही है. नदी के भीतर वेल के पाईप लाईन में फंसी गंदगी का चित्र भी देखा जिसे जल के अंदर जाकर लिया गया है. मोहरदा पेयजल परियोजना के इंटेक वेल को कूड़ा-कचड़ा से बचाने के लिये वेल में जंगरोधी लोहे की जाली लगाने का काम टाटा स्टील यूटिलिटीज कंपनी (जुस्को) प्रबंधन ने शुरू कर दिया है. नदी में नीचे जाकर मिस्त्री एवं विशेषज्ञ जाली लगायेंगे और पानी के नीचे वेल्डिंग करेंगे. इसके लिये सतह पर पानी का जहाज़ एवं नीचे गोताखोर वेल्डर की व्यवस्था प्रबंधन ने किया है. टाटा स्टील के सुरक्षा पैमाना पर खरा उतरने के बाद जोखिम भरा यह काम किया जा रहा है. जमशेदपुर ऐसा कठिन तकनीकी काम पहली बार हो रहा है. (नीचे देखे पूरी खबर)

कुल तीन जालियां इंटेक वेल में कसी जानी हैं. शुक्रवार को दूसरी जाली लगाने का काम हो रहा है. तीसरी जाली एक सप्ताह बाद लगेगी. तीनों जालियां लग जाने के बाद मोहरदा पेयजल परियोजना के इंटर वेल में बारिश का पानी के साथ प्लास्टिक एवं अन्य तरह के कूड़े-कचड़े इंटेक वेल में नहीं जा पायेंगे. उल्लेखनीय है कि बाढ़ के कारण नदी में जानेवाला कूड़ा-कचड़ा इंटेक वेल के पम्प में फँस जाता था जिसके कारण पेयजल परियोजना को कई दिन बंद रखना पड़ता था. मोहरदा पेयजल परियोजना की कई कमियों को दो वर्ष के भीतर जुस्को ने दूर किया है. परंतु अभी भी काफ़ी काम करना बाक़ी है. कुल 8 में से 4 पानी टंकियां साफ़ की जा चुकी हैं. इंटेक वेल में लोहे की जाली लगाई जा रही है. मोहरदा पेयजल परियोजना की क्षमता बढ़ाने और कई मुहल्लों में नया पाईप लाईन डालने का काम हुआ है. पेयजल की आपूर्ति में सुधार हुआ है और इसके लिये समय सारिणी के अनुसार काम हो रहा है. सबसे बढ़कर पेयजल की गुणवत्ता बढ़ाने पर काम हुआ है. फिर भी अनेक काम अभी होने बाकी हैं जिन्हें परियोजना के फ़ेज़-2 में समाहित करना है.

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