खबरjamshedpur-center-of-faith-जमशेदपुर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र जुगसलाई का श्रीश्री विंध्यवासिनी मंदिर,...
spot_img

jamshedpur-center-of-faith-जमशेदपुर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र जुगसलाई का श्रीश्री विंध्यवासिनी मंदिर, जानें क्या है इसका इतिहास और क्यों है लोगों की आस्था

राशिफल

जमशेदपुर के जुगसलाई स्थित श्रीश्री विंध्यवासिनी मंदिर.

जमशेदपुर : जुगसलाई के एमई स्कूल रोड में स्थित श्रीश्री विंध्यवासिनी मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था व विश्वास का केंद्र है. मंदिर में हर दिन अनेक श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं. मां विंध्यवासिनी के आशीर्वाद से यहां कई लोगों की मनोकामनाएं भी पूर्ण हुई हैं. मंदिर में स्थापित मां विंध्यवासिनी की प्रतिमा अत्यंत ही मनोहारी है, जिसके दर्शन मात्र से ही अलौकिक अनुभूति होने लगती है. इस मंदिर से जुड़ी कुछ कथाएं हैं, जो मंदिर से जुड़ी आस्था को और अधिक प्रबल करती हैं. मंदिर में मां विंध्यवासिनी के अलावा अन्य देवी-देवताओं की भी प्रतिमाएं हैं. अपने स्थापना काल से ही यह मंदिर लोक आस्था का केंद्र रहा है. मंदिर के सामने से आने-जानेवाले सैकड़ों लोग हर दिन यहां शीष नवाते हैं. (नीचे भी पढ़ें)

श्रीश्री विंध्यवासिनी देवी की प्रतिमा.

हर साल वासंती व शारदीय नवरात्र का होता है आयोजन
जमशेदपुर : जुगसलाई के एमई स्कूल रोड में अवस्थित श्रीश्री विंध्यवासिनी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. स्थापना काल से ही इस मंदिर के प्रति लोगों में विशेष आस्था है. वर्ष 1999 में स्थापित इस मंदिर में आसपास के क्षेत्रों के अलावा दूर-दूर से भी लोग अपनी मुरादें लेकर आते हैं. मंदिर में हर दिन नियमित पूजा तो होती ही है, हर वर्ष वासंती (चैत्र) नवरात्र और शारदीय (आश्विन) नवरात्र में का भी आयोजन किया जाता है. इस अ‍वसर पर श्रद्धालु मां के दर्शन व पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की मंगलकामना करते हैं. (नीचे भी पढ़ें)

मंदिर के संचालक सुनील अग्रवाल और उनकी धर्मपत्नी.

बरती जा रही सतर्कता
इस बीच कोरोना महामारी को लेकर विशेष सतर्कता भी बरती जा रही है. मंदिर में किसी भी श्रद्धालु को बगैर मास्क प्रवेश की अनुमति नहीं है. इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा जा रहा है. मंदिर संचालकों की ओर से सैनिटाइजर की व्यवस्था की गयी है. इसके अलावा श्रद्धालुओं को मां के दर्शन व पूजा-अर्चना के लिए एक-एक कर प्रवेश कराया जाता है. कोई भी व्यक्ति या श्रद्धालु मंदिर में घंटी वगैरह को छू नहीं सकता है. (नीचे भी पढ़ें)

श्रीश्री विंध्यवासिनी देवी की प्रतिम का पूजा करते सुनील अग्रवाल.

मां को प्रिय है पान, प्रसन्न करने को लगता है पान का भोग
मंदिर में पूरे शारदीय व वासंती नवरात्र के अलावा आम दिनों में भी मां विंध्यवासिनी को प्रसन्न करने के लिए मीठा पान का भोग चढ़ाया जाता है. मंदिर के संचालकों ने बताया कि दोनों नवरात्र के दौरान मां को पान का विशेष भोग अर्पित किया जाता है. इसके लिए निर्धारित पान विक्रेता के यहां से ही पान लाया जाता है, जो हर सुबह स्नान करने के बाद मांं के लिए मीठा पान तैयार करता है. कलश स्थापना के दिन से ही 21 पान का भोग लगा कर शुरुआत की जाती है, जिसकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ती जाती है. महानवमी के दिन मां को 101 पान का भोग अर्पित किया जाता है. पान भोग श्रद्धालु काफी श्रद्धा के साथ ग्रहण करते हैं, वहीं महानवमी को पूर्णाहुति के साथ ही प्रसाद वितरण किया जाता है. हालांकि इस बार कोविड नियमों को ध्यान में रखते हुए पिछले वर्षों की तरह प्रसाद व खिचड़ी भोग वितरण की व्यवस्था नहीं की गयी है. पूरे आयोजन में अग्रवाल परिवार के सभी सदस्य सक्रिय भूमिका निभाते हैं. (नीचे भी पढ़ें)

पान का प्रसाद की तसवीर.

मां की प्रतिमा है आकर्षण का केंद्र
पिछले वर्षों की ही तरह इस बार भी मंदिर में विधि-विधान से शारदीय नवरात्र में पाठ-पूजा का आयोजन किया गया है. नवरात्र के पहले दिन से ही मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. वहीं मां की प्रतिमा को सजाया गया है, जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. मंंदिर में हर दिन सुबह-शाम श्रद्धालु मां को माथा टेकने आते हैं. (नीचे भी पढ़ें)

मंदिर में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा.

स्व दीनानाथ अग्रवाल ने की थी मंदिर की स्थापना
जमशेदपुर : यहां 29 जनवरी 1999 को समाजसेवी स्व दीनानाथ अग्रवाल ने इस भव्य मंदिर की स्थापना की थी. जयपुर से मां की प्रतिमा ले आकर यहां प्रतिष्ठापित की गयी थी. मंदिर में मां विंध्यवासिनी की मनोहारी प्रतिमा तो है ही, इस मंदिर में अष्टभुजी दुर्गा माता, मां काली के अलावा भैरव बाबा की भी प्रतिमा प्रतिष्ठापित है. वहीं द्वार पर सिद्धि विनायक गणेश जी विराजमान हैं. मंदिर के गुंबद में छोटे-छोटे चार मंदिर हैं, जहां भगवान शंकर, भगवान श्रीकृष्ण, श्रीगणेश जी एवं हनुमान जी विराजमान हैं. गुंबद की चोटी पर चार शेर कलश की रक्षा करते देखे जा सकते हैं. वहीं बगल में सितेश्वर महादेव का भव्य मंदिर है. दोनों मंदिर का संचालन स्व दीनानाथ अग्रवाल के ज्येष्ठ पुत्र सुनील कुमार अग्रवाल व कनिष्ठ पुत्र सुशील कुमार अग्रवाल के द्वारा किया जाता है. साथ ही दोनों भाइयों का पूरा परिवार मां विंध्यवासिनी की सेवा में जुटा रहता है. यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए हर दिन सुबह व शाम निर्धारित समय से खुलता है. यहां दर्शन करने के पश्चात श्रद्धालु बगल में स्थित सितेश्वर महादेव मंदिर में भी दर्शन को जाते हैं. (नीचे भी पढ़ें)

मंदिर में स्थापित मां काली की प्रतिमा.

… तब कारीगरों को मिली थी गलती की सजा
जमशेदपुर : मंदिर का निर्माण बलरामपुर (पुरुलिया) के बाबू मिस्त्री व उनके कुशल कारीगरों के द्वारा कराया गया है. मंदिर के निर्माण के क्रम में कारीगरों ने गलती की थी, जिसकी उन्हें सजा भुगतनी पड़ी थी. बताया जाता है कि निर्माण के दौरान कारीगरों ने एक दिन मांसाहारी भोजन किया. उसके बाद निर्माणाधीन मंदिर में आकर सो गये. देर रात उन्हें पायल की आवाज सुनाई देने लगी. उस पर उन्होंने पहले तो ध्यान नहीं दिया, लेकिन बाद में उन्होंने ऐसा महसूस किया जैसे उन्हें कोई चांटे मार रहा है. इसके बाद जैसे किसी ने चेतावनी भी दी कि आइंदा मंदिर में मांसाहार कर के न आयें. इसके बाद कारीगर काफी डर गये. किसी तरह उन्होंने रात बितायी. उसके बाद सुबह होते ही मंदिर का निर्माण करवा रहे अग्रवाल परिवार को इसकी जानकारी दी. इसके साथ कारीगरों ने मंदिर में मांसाहार न करके आने की ठान ली. (नीचे देखे प्रतिमा की तस्वीर)

मंदिदर में स्थापित भैरव जी की प्रतिमा.

Must Read

Related Articles

Floating Button Get News On WhatsApp
Don`t copy text!

Discover more from Sharp Bharat

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading