jamshedpur-chattisghari-samaj-छत्तीसगढ़ी समाज ने की हलषष्ठी पूजा, इस पूजा करने से श्रेष्ठ संतान प्राप्त करने की कामना पूर्ण होती है, जानियें

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सोनारी में हो रही पूजा.

जमशेदपुर : छत्तीसगढ़ी समाज की ओर से शनिवार को हलषष्ठी पूजा का आयोजन किया गया. सोनारी बारह गोलाई नर्स क्वार्टर के सामने छत्तीसगढ़ी सेवा संस्थान की ओर से शनिवार को हलषष्ठी पूजा का विशेष आयोजन किया गया. जन्‍माष्‍टमी से 2 दिन पहले यानी षष्‍ठी के दिन कृष्‍णजी के बड़े भाई बलराम जी का जन्‍मोत्‍सव मनाया जाता है. इस दिन पुत्रवती माताएं और बहनें व्रत करती हैं और अपनी संतान की दीर्घायु की कामना करती हैं. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार भाद्र पद के कृष्‍ण पक्ष की षष्‍ठी को बलरामजी का जन्‍म हुआ था और इस दिन उनका जन्‍मोत्‍सव मनाया जाता है. इस हल छठ, देव छठ, संतान छठ और हलषष्‍ठी के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि हलषष्ठी का व्रत करने से श्रेष्‍ठ संतान प्राप्‍त करने की कामना पूरी होती है. बलरामजी का प्रमुख शस्‍त्र हल था, इसलिए इसे हलषष्ठी कहा जाता है. इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं को हल से जोती गई वस्‍तुएं खाने की मनाही होती है. वहीं इस दिन भैस का दूध, दही और घी का सेवन किया जाता है. इस कार्यक्रम को सफल बनाने में नरेंद्र कुमार, मुकेश कुमार, श्रीकांत साहू, रूपा देवी, ज्योति साहू, गोदावरी, पूजा साहू, पार्वति देवी, उमा देवी, उषा पांडेय, रेखा साहू, प्रमिला देवी, नीलम, राधा गढ़वाल, पिंकू साहू का योगदान रहा है. (नीचे देखे सिदगोड़ा में कैसे मना यह पूजा)

सिदगोड़ा में पूजा अर्चना करती महिलाएं.

दूसरी ओर, सिदगोड़ा सार्वजनिक हलषष्ठी खमरछठ समिति के कार्यकारणी सदस्य धनेश्वर देवांगन ने बताया कि कारोना महामारी को देखते हुए इस वर्ष भी महिलायें घर पर ही पूजा करेंगी. व्रतधारी वर्षा देवांगन ने बताया कि यह व्रत मां संतान की प्रप्ति और दीर्घायु के लिए करती है और प्राथना करती है कि यह कारोना महामारी पूरी तरह खत्म हो और कोई भी माता निःसंतान न हो. इस व्रत की पौराणिक कथा यह है कि आज के दिन भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म दिवस है और आज के ही दिन एक बार खेत मे किसी बच्चे की हल लगने से मृत्यु हो गयी थी तब भगवान से उस बच्चे को जीवन दान मिली थी तब से ही व्रतधारी महिलाये हल जोते हुए चावल का व्रत के दिन आहार नही करती है बल्कि बिना हल जोते हुये अन्न पसहर चावल की बनी प्रसाद को खाती है. वर्षा देवांगन ने बताया कि उनके साथ उनकी तीन देवरानियां भी पूजा करती है. इस पूजा में सास-ससुर का एवं परिवार के सदस्यों का काफी योगदान रहता है और मैं यह व्रत 15 वर्षो से कर रही हूं. इस व्रत में सारिका देवांगन, सुनीता देवांगन, दीपिका देवांगन शामिल हुए. (नीचे पढ़े टुइलाडुंगरी शितला मंदिर में कैसा हुआ आयोजन)

छतीसगढी परंपरा के अनुरूप छत्तीसगढ़ी महिलाओ द्वारा श्री श्री शीतला माता मंदिर टुइलाडूंगरी के प्रांगण में हल षष्ठी(कमर छठ) पूजन का आयोजन किया गया. ऐश राम साहू एवं मास्टर शांताराम कौशल द्वारा विधि विधान के साथ पूजा पाठ, भजन एवं आरती का कार्य सम्पन्न कराया गया. महिलाओ द्वारा अपने बाल बच्चो के लिए इस पूजन कार्य को सम्पन्न किया जाता है. कोरोना काल को ध्यान में रखते हुए कृत्रिम तालाब का निर्माण किया गया था तथा यह भी ध्यान रखा गया था कि ज्यादा भीड़ ना हो, पूजन करने वाली महिलाओ में मंजू साहू, मोहिनी साहू, कुंती देवी, संगीत, कमला बाई, ममता साहू, रुकमणी, पुष्पा साहू, चंदा देवी, संध्या देवी, कोमल देवी, द्रुपद देवी, नमिता साहू, रेणु देवी, प्रीत बाई, शारदा यादव, विमला यादव, मंजू देवी, चित्रा देवी आदि महिलाओ ने पूजा कार्य मे अपनी भागीदारी निभाई. पूजन कार्य सम्पन्न कराने वालों में मंदिर समिति के अध्यक्ष दिनेश कुमार, मोतीलाल साहू, गिरधारी साहू, गंगाराम साहू, शत्रुघन निषाद, गणेश राम निषाद, हुकुम निषाद,वीरेंद्र साहू आदि उपस्थित थे.

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