जमशेदपुर : छठ महापर्व पर कोरोना संकट के अलावा मौसम की बेरुखी भी बौनी नजर आई। भोर से ही झमाझम बारिश होती रही, जिसने अच्छी-खासी ठंड का एहसास कराया, बावजूद इसपर आस्था भारी पड़ी। एक तो व्रती पानी में खड़े होकर सूर्य देव के उदय का इंतजार करती रहीं, ऊपर से बारिश। लेकिन सूर्य देव ने दर्शन नहीं दिए। अंततः व्रतियों ने विधि-विधान के साथ अर्घ्य अर्पित किए। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत खोला। मौसम की बेरुखी के कारण नदी घाट व कृत्रिम तालाबों के पास व्रतियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि अपने घर में व्यवस्था कर अर्घ्य अर्पित करने वालों को थोड़ी कम परेशानी हुई। (आगे की खबर नीचे पढ़ें)
उल्लेखनीय है कि छठ पर विभिन्न नदी घाटों समेत कृत्रिम घाटों पर व्रती और श्रद्धालु उमड़े। हालांकि पिछले वर्षों की अपेक्षा नदी घाटों पर भीड़ कम रही। इस दौरान लोगों सरकार की गाइडलाइन के अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग समेत कोविड नियमों का पालन करते नजर आए। इस दौरान पुलिस-प्रशासन भी मुस्तैद नजर आया। नदी घाटों पर व्रतियों को ही नदी में जाने की इजाजत थी। दूसरी ओर विभिन्न हिस्सों में अनेक व्रतियों ने अपने घर की छतों पर ही कृत्रिम व्यवस्था कर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में बने कृत्रिम तालाबों के पास भी व्रतियों की भीड़ रही। नदी घाटों पर तो विभिन्न संगठनों के द्वारा व्रतियों व श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये व्यवस्था की गई थी। साउंड सिस्टम के माध्यम से कोविड नियमों का पालन करने की अपील की जा रही थी। साथ ही कई संगठनों द्वारा मास्क वितरण भी किया गया।