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Jamshedpur : झारखंड कल आज और कल विषय पर कानक्लेव 18 जून को, पूर्व डीआईजी राजीव रंजन और संजय समर की पहल, नेताओं के साथ शिक्षा, संस्कृति और कारपोरेट जगत के प्रतिनिधियों का लगेगा जमावड़ा

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जमशेदपुर : झारखंड को अलग राज्य बने 22साल हो गए. इन 22 सालों में राज्य कहां तक पहुंचा? क्या अलग हुए अन्य राज्य आगे नहीं बढ़ गए?क्या झारखंड का नाम भ्रष्टाचार में आगे नहीं हो गया?कुछ ऐसे ही प्रश्नों के उत्तर तलाशते हुए राज्य के अतीत से सबक लेकर इसके सुखद भविष्य को लेकर पहल करने की कोशिशों पर चर्चा के लिए पूर्व डीआईजी राजीव रंजन और पत्रकार संजय समर ने पहल करते हुए एक कान्क्लेव का आयोजन किया है. आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर झारखण्ड में विकासोन्मुख सामाजिक-राजनीतिक चेतना जागृत करने के लिए 18 जून शनिवार को माइकल जॉन आडिटोरियम में झारखंड डेवलपमेंट कॉन्क्लेव-2022 का आयोजन गोल्डेन सिग्नेचर्स रिसर्च एंड कंसल्टिंग (गोल्डेन सिग्नेचर्स), नयी दिल्ली के द्वारा किया जा रहा है जिसका विषय होगा-झारखण्ड कल, आज और कल. इसमें पिछले दो दशकों में हुए राज्य के सर्वांगीण विकास पर चर्चा के साथ भविष्य में आर्थिक-सामाजिक-सांस्कृतिक विकास के अवसरों और विकल्पों पर महत्वपूर्ण चर्चा होगी. (नीचे भी पढ़ें)

इस अवसर पर राज्य में नॉलेज लीडरशिप के विकास और थॉट लीडर्स को एक मंच प्रदान करने के लिए इंडियन थॉट लीडर्स-जेएचआर की भी शुरुआत की जाएगी. कार्यक्रम सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर तीन बजे तक चलेगा. इस कॉन्क्लेव में प्रदेश और देश के विभिन्न भागों से शिक्षा, संस्कृति, कॉरपोरेट और समाज सेवा से जुड़े अनेक गणमान्य अतिथियों समेत विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति और नीति आयोग के सलाहकार की सारगर्भित उपस्थिति भी होगी. (नीचे भी पढ़ें)

गोल्डेन सिग्नेचर्स रिसर्च एंड कंसल्टिंग क्या है
गोल्डेन सिग्नेचर्स रिसर्च एंड कंसल्टिंग (गोल्डेन सिग्नेचर्स) शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, परिवहन, सूचना, तकनीक, रोजगार और उद्यमिता के साथ-साथ आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक विषयों पर कार्य करने वाली एक राष्ट्रीय शोध व विचार संस्था (थिक टैंक) है, जो सूचना और ज्ञान के माध्यम से शहरी से लेकर ग्रामीण युवाओं में क्षान आधारित नेतृत्व क्षमता यानी नॉलेज लीडरशिप को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है. इसके संस्थापक ओंकारेश्वर पांडेय देश के जाने माने पत्रकार, लेखक व बुद्धिजीवी हैं तथा इस मंच के विभिन्न नॉलेज नेटवर्क से कराब 40 देशों के 3500 बुद्धिजीवी जुड़े हुए हैं.

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