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jamshedpur-court-BIG-order-जमशेदपुर के घाघीडीह जेल में मर्डर करने के मामले में कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, 15 लोगो को एक साथ फांसी देने की सजा, 7 और लोगों को दी गयीं 10 साल कारावास की सजा, जाने क्या है फैसला, कैसी हुई थी हत्या-video

राशिफल

जमशेदपुर : जमशेदपुर के घाघीडीह सेन्ट्रल जेल में 26 जून 2019 को दो गुटों के बीच हुई मारपीट के बाद कैदी मनोज कुमार सिंह की मौत के मामले में एडीजे-4 राजेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत ने गुरुवार को 22 आरोपियों को सजा सुनाई. जमशेदपुर कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनते हुए दोषी करार दिए गए 15 लोगो को फांसी की सजा सुनाई जबकि 7 लोगो को 10 साल का सश्रम कारावास की सजा सुनाइ. इस मामले में कोर्ट सजा के बिंदु पर 18 अगस्त को सुनवायी की तिथि मुकर्रर की गयीं थी. अपर लोक अभियोजक राजीव कुमार ने बताया कि इस मामले में कुल 15 लोगों की गवाही हुई थी. (नीचे भी पढ़ें)

मनोज कुमार सिंह पर जानलेवा हमला करने के मामले में कोर्ट ने ऋषि लोहार, सुमित सिंह, अजीत दास, तौकीर, सौरभ सिंह, सोनू लाल और सोएब अख्तर उर्फ शिबू को कोर्ट ने धारा 147, 148, 323 और 307 पर दोषी पाया था जिसको 10 साल की सजा सुनाई गयीं जबकि हत्या करने के मामले में कोर्ट ने वासुदेव महतो, अनुप कुमार बोस, जानी अंसारी, अजय मल्लाह, गोपाल तिरिया, पिंकू पूर्ति, श्यामु जोजो, संजय दिग्गी, शिवशंकर पासवान, रमेश्वर अंगारिया, गंगा खंडैत, रमाय करूवा और शरद गोप को धारा 147, 139, 323, 149, 325, 302 और 307 में दोषी पाया गया था, जिसको फांसी की सजा सुनाइए गयीं. दो लोग फरार है जिसको पुलिस महानिदेशक झारखण्ड को कार्रवाई करते हुए जेल भेजनें को कहा गया है. इस कांड में कोर्ट से फरार चल रहे रमाई कड़वा और श्रीराम अंगड़िया को भी फांसी की सजा सुनाई गयीं है. इन दोनों को जेल भेजनें और कार्रवाई करने के लिए झारखण्ड के पुलिस महानिदेशक को कहा गया है. ये दोनों चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम जिला ) के रहने वाले है. (नीचे भी पढ़ें व देखें वीडियो)

क्या है मामला :
घटना के दिन शाम को घाघीडीह सेंट्रल जेल में दो गुटों के बीच भिड़ंत हो गयी थी. दोनों गुटों के कैदी लाठी और डंडा लेकर एक-दूसरे पर हमला कर रहे थे. लिपिक की ओर से मोबाइल पर जेल अधीक्षक सत्येंद्र चौधरी को सूचना दी गयी थी. आवाज आ रही थी कि हरीश सिंह ने जेल का माहौल बिगाड़ दिया है. इसको जान से मार देंगे. हरीश को बचाकर ऑफिस में लाकर बैठाया गया था. इस बीच हरीश गुट का मनोज सिंह, रिषि लोहार व अन्य ने पंकज दुबे पर हमला बोल दिया था. पूरा विवाद हरीश के कारण उत्पन्न हुआ था. हरीश सिंह ने एसटीडी बूथ पर जाकर टेलीफोन छीन लिया था. इसका विरोध अमन मिश्रा ने किया था. घटना के बाद मनोज सिंह और सुमित सिंह को इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल लाया गया था. एमबुलेंस चालक ने सूचना दिया था कि मनोज सिंह की रास्ते में ही मौत हो गयी. घटना के संबंध में 17 सजायाफ्ता और बिचाराधीन कैदियों के खिलाफ परसुडीह थाना में मामला दर्ज कराया गया था.

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