जमशेदपुर : जमशेदपुर के परसुडीह थाना क्षेत्र के गोलपहाड़ी के रहने वाली 16 वर्षिय नाबालिग को नशे की दवा खिलाकर शारीरिक संबंध बनाने से 2 माह का गर्भवती हो जाने के एक मामले में आरोपी मानिक चन्द्र दास को जमशेदपुर की अदालत ने बुधवार को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. इस मामले की सुनवाई जमशेदपुर कोर्ट के एडीजे -वन संजय कुमार उपाध्याय की अदालत कर रही थी. इस मामले में कुल 8 लोगों की गवाही हुई थी.(नीचे भी पढ़े)
चाइल्ड लाइन के टीम के सदस्य कदमा निवासी अर्चना घोष को को मिली थी सूचना
चाइल्ड लाइन के सदस्य अर्चना घोष को नाबालिग के साथ हो रही जुल्म का शिकायत 30 जून 2019 को मिलने पर नाबालिग को चाइल्ड लाइन में रखा गया था. जहां से 1जुलाई 2019 को बाल कल्याण समिति में रखा गया था क्योंकि वह अपनी दीदी -जीजा के साथ घर जाने से इंकार कर दिया था. पुन : 13 अगस्त 2019 को आनंद मार्ग आश्रम बिरसानगर में रखा गया. अचानक आनंद मार्ग के पदाधिकारियों ने सूचना दिया की नाबालिग का तबीयत खराब हो गयी हैं. उसे एमजीएम अस्पताल में इलाज हेतु भर्ती कराया गया था. जांच में पता चला था कि नाबालिग करीब दो माह से अधिक समय का गर्भवती हैं, जिसके बाद नाबालिग से पूछताछ किया गया तो उसने मामले का खुलासा कर दिया. तब जाकर मामला परसुडीह थाना तक पहुंचा था. (नीचे भी पढ़े)
पीड़िता आरोपी मानिक चन्द दास के घर पर करती थी झांड़ू-पोछा का काम
पीड़िता ने जमशेदपुर कोर्ट के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी श्रीमती दर्शना के समक्ष दी 164 के बयान में बताई थी कि पिछले दो माह से वह मानिक चन्द्र दास के घर पर झांड़ू-पोछा का काम करती थी. कभी -कभी चाय भी बनाती थी. तबीयत खराब होने पर वह जब मानिक के पिता को बस्ती थी तो उसे दवा दिया जाता था. लेकिन दवा खाने के बाद उसे नींद आ जाती थी. सुबह उठने पर उसका कपड़ा खुला हुआ रहता था. शरीर पर दर्द होता था. इस बात की शिकायत करने पर मानिक के पिता द्वारा इन्कार कर देता था. (नीचे भी पढ़े)
नाबालिग का देवघर रिमांड होम में हो गया था मौत, बयान दर्ज करने वाली प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी श्रीमती दर्शना की भी हो गई मौत
मामले की पीड़िता की देवघर रिमांड होम में मौत हो गया था. पीड़िता का बयान पुलिस ने 21 अगस्त 2019 जमशेदपुर कोर्ट के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी श्रीमती दर्शना की अदालत में कराई थी. लेकिन नाबालिग का मौत 29 अगस्त को देवघर के रिमांड होम में हो गया था. वहीं बयान दर्ज करने वाली न्यायिक मजिस्ट्रेट दर्शाना की भी मौत हो गई. जिस वजह से अभियोजन ने आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप को सत्यापित नहीं कर पाए, जिसका लाभ आरोपी को मिल गया. वही पुलिस ने मानिक के पिता दिनेश चन्द्र दास को भी मामले में आरोपी नहीं बनाया था. वर्तमान में दिनेश चन्द्र की भी मौत हो गयीं हैं.
मेडिकल बोर्ड में पीड़िता का जांच कराई गयी थीपीड़िता की मौत के बाद मेडिकल बोर्ड गठन कर जांच कराई गयीं थी. जांच में पीड़िता की गुप्त अंग में जख्म पाया गया था. पीड़िता की मौत से कोई गवाह का गवाही आरोपी को सजा दिलाने में काम नहीं आया. अंतत: अदालत ने आरोपी मानिक चन्द दास को साक्ष्य अभाव में बरी कर दिया.