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jamshedpur-courts-news-1. नाबालिग को शादी के नीयत से भगाकर ले जाने वाला एक बच्चे का पिता साक्ष्य अभाव में बरी, 2. चेक बाउंस मामले में एक साल की सजा

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जमशेदपुर :सिदगोड़ा से 16 साल की नाबालिग लड़की को शादी की नीयत से भगाकर ले जाने वाला शादीशुदा और एक बच्चे की पिता चाईबासा झींकपानी निवासी खागेन चन्द्र दास को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. इस मामले की सुनवाई एडीजे-4 राजेन्द्र सिन्हा की अदालत कर रही थी. अपर लोक अभियोजक राजीव कुमार ने बताया कि मामले में कुल 9 लोगों की गवाही हुई. पीड़िता ने अदालत के समक्ष आरोपी की पहचान से इंकार कर दिया था. घटना 21 जुलाई 2017 की हैं. इस संबंध में लड़की के फुफा ने सिदगोड़ा थाने में खागेन चन्द्र दास के खिलाफ नामजद अभियुक्त बनाते हुए अपहरण का मामला दर्ज कराया था. जिसमें बताया गया था कि नाबालिग कुछ दिनों से उनके पास रह रही थी. घटना के दिन सुबह साढ़े छह बजे लड़की ने अचानक घर का ताला खोलकर भाग गयी. इसकी सूचना लड़की के पिता को देने पर बताया था कि कुछ दिन पूर्व आरोपी खगेन ने बेटी से शादी करेगा बोल रहा था. लेकिन खगेन पहले से शादीशुदा और एक बच्चे का पिता था और उनकी बेटी नाबालिग थी. इसलिए वह शादी से इंकार कर दिया था. इंकार करने पर खगेन ने धमकी दिया था कि बेटी जंहा भी रहेगी उसे भगाकर ले जायेगा. पुलिस ने 10-12 दिन बाद दोनों को चोया गांव से गिरफ्तार किया था.

चेक बाउंस मामले में जयशंकर को एक साल की सजा, 5 लाख का जुर्माना भी

जमशेदपुर :चेक बाउंस के एक मामले में जयशंकर पांडेय को प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी उत्कर्ष जैन की अदालत ने शुक्रवार को एनआईए एक्ट के मामले में दोषी करार देते हुए एक साल की सश्रम कारावास की सजा सुनायी है. इसके अलावा जयशंकर पांडेय पर 5 लाख 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. घटना के संबंध में वादी सोमनाथ विश्वास ने 4 दिसंबर 2018 में एक चेक बाउंस का मामला दर्ज कराया था.सिदगोड़ा थाना क्षेत्र के गौतम विहार भुइयांडीह के सोमनाथ का कहना है कि उन्होंने ह्यूमपाइप बस्ती के रहने वाले जयशंकर पांडेय को दोस्ताना कर्ज के रूप में 2 अप्रैल 2018 को 5 लाख रुपये दिया था. कर्ज देने के बाद आरोपी ने कहा था कि तीन माह में ही रुपये वापस कर देगा. तीन माह के बाद चेक भी दिया था, लेकिन बैंक में डालने के बाद वह बाउंस कर गया.सोमनाथ विश्वास की तरफ से अधिवक्ता उदय शंकर सिंह मामले में पैरवी कर रहे थे, लेकिन उनका निधन होने के बाद उनके पुत्र अधिवक्ता विवेक सिंह ने मामले में पैरवी की.

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