
जमशेदपुर : मेगालिथ अर्थात महापाषाण, जिसके बारे में हमने कहीं न कहीं पढ़ा या सुना होगा, पर बहुत ज्यादा नहीं जानते. अगर कहा जाये कि ऐसी एक धरोहर हमारे झारखंड राज्य में हजारीबाग में है तो अधिकांश लोग हतप्रभ होकर जानना चाहेंगे. मेगालिथ प्रमाण है कि हमारे पूर्वज आधुनिक एवं दूरदर्शी सोच वाले लोग थे. उन्होंने पाषाण युग में ही प्रकृति के कई रहस्य को समझ लिया था. मगर दुख की बात यह है कि आज भी हम इसकी महत्ता नहीं समझ पा रहे हैं. इसी विषय को केंद्रित कर शहर के युवा कलाकार एवं सोशल एक्टिविस्ट सुशांत कुमार ने एक डॉक्यूमेंट्री “द मेगालिथ” तैयार की है. (नीचे भी पढ़ें)

वे बताते हैं कि जब वे हजारीबाग के इस स्थल में 23 सितंबर को पहुंचे थे तो उन्होंने देखा कि यूरोप एवं कोरिया, जापान, इंडोनेशिया, मलेशिया के कई सैलानी एवं भूगोल के छात्र इस खगोलीय घटना को देखने वहां पहुंचे हुए हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इसकी बहुत अच्छी जानकारी झारखंड या भारत देश के नव युवकों को है ही नहीं. साल में ऐसे 2 दिन होते हैं जब दिन-रात बराबर 12-12 घंटों में बटे हुए होते हैं. यह 2 दिन होते हैं 21 मार्च एवं 23 सितंबर. इन दोनों दिन ही सूर्य बराबर इन 2 विस्थापित पत्थरों के बीच से उदय होता है. यह एक अद्भुत मनोरम दृश्य होता है. अपने यूट्यूब चैनल सुशांत कुमार 1 पर रिलीज कर रहे हैं. कविता लेखन के साथ, सुशांत कुमार ने अब तक स्टार भारत, लाइफ ओके, एंड टीवी के कई सीरियलों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया है. साथ ही साथ वे हिंदी एवं प्रादेशिक भाषाओं की लघु एवं फूल लेंथ फिल्मों में भी काम कर चुके हैं. उनका कहना है कि वे निरंतर इस तरह के सामाजिक कार्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं.