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jamshedpur-encroachment-सोनारी में ”एक मात्र दुकान” को हटाने को लेकर सड़क पर दिखी राजनीति, अतिक्रमण हटाने पहुंची जिला प्रशासन और टाटा स्टील की टीम के साथ बन्ना समर्थकों की नोंकझोंक, बन्ना समर्थकों को गिरफ्तार कर हटाया गया अतिक्रमण, झामुमो के विधायकों की पैरवी भारी पड़ी, जाने क्या है ”राजनीति”

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जमशेदपुर : जमशेदपुर के सोनारी कागलनगर में अतिक्रमण हटाने पहुंची टाटा स्टील लैंड डिपार्टमेंट और जिला प्रशासन के साथ कांग्रेस के मंत्री बन्ना गुप्ता के समर्थकों के साथ तीखी नोंकझोंक हुई. बन्ना समर्थकों के भारी विरोध के बावजूद जमशेदपुर के अंचलाधिकारी की मौजूदगी में वहां के एक मात्र दुकान के अतिक्रमण को हटा दिया गया. एक दुकान के अतिक्रमण को हटाने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करना पड़ा. बताया जाता है कि इस मामले को लेकर झामुमो के तीन विधायकों ने टाटा स्टील और प्रशासन पर दबाव बनाया था क्योंकि वहां के स्थानीय झामुमो नेता का वहां पहले से बने दुकान के विस्तारित चीज पसंद नहीं थी. (नीचे पूरी खबर देखें)

इसको लेकर झामुमो के नेताओं ने मिलकर झामुमो के विधायकों के पास कहा था कि वहां एक दारू की दुकान खोला जा रहा है, जिसका वे लोग विरोध कर रहे है जबकि बगल में झामुमो का ऑफिस भी है. इस अतिक्रमण को हटाने के लिए सीओ को मैदान में उतारा गया. सुबह करीब 11.30 बजे थाना प्रभारी अंजनी कुमार मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल और बुल्डोजर के साथ पहुंचे. वहां टाटा स्टील लैंड डिपार्टमेंट के लोग भी मौजूद थे. इसके बाद वहां अचानक से मंत्री बन्ना गुप्ता समर्थक पहुंचे. कांग्रेस के सोनारी थाना अध्यक्ष बंटी शर्मा, संतोष सिंह, सूरज हरपाल, संजय सिंह समेत तमाम लोगो पहुंच गये. इन लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया. बुल्डोजर के सामने सो गये. (नीचे पूरी खबर देखें)

हंगामा इतना हुआ कि बैकफुट में प्रशासन को उस वक्त आना पड़ा, लेकिन बाद में फोन पर गुफ्तगु होने के बाद अचानक से प्रशासन और पुलिस हरकत में आयी और तत्काल सारे लोगों पर कार्रवाई करते हुए सबको गिरफ्तार कर लिया और फिर सबको जेल भेजने की धमकी देते हुए तीखी नोंकझोक के बीच सबको गिरफ्तार कर लिया गया. बताया जाता है कि इस दौरान झामुमो के विधायक खुद पैरवी में लगे हुए थे और लगातार अधिकरियों के संपर्क में थे. वैसे सिर्फ एक दुकान को लेकर दो सत्ताधारी राजनीतिक दलों की आपसी राजनीति लोगों को देखने को मिली, जो चर्चा का विषय बना हुआ है. बताया जाता है कि वहां काफी दुकानें पहले से ही लगायी गयी है. कुछ अतिक्रमित है, कुछ आवंटित है. इन दुकानों में से एक बीच में झामुमो का कार्यालय है. इस कार्यालय के बगल में काफी वर्षों से एक डेंटिंग वाले की दुकान थी, जिसको एक नेता ने पहले खरीदा. नेता का चेहरा था, फिर शराब की दुकान के मालिक ने उक्त दुकान को अपना बना लिया. इसके बाद झामुमो के स्थानीय नेता को इस पूरे घटनाक्रम की भनक लगी, जिसके बाद इस दुकान को हटाने के लिए झामुमो के विधायकों ने पैरवी शुरू कर दी क्योंकि वहां पुरानी दुकान के हिस्से से काफी ज्यादा बड़ा दुकान लगा दिया गया था. इसके बाद झामुमो के विधायकों ने काफी जुगत लगायी. वहीं, दुकान को बचाने के लिए मंत्री बन्ना गुप्ता के समर्थकों को उतारा गया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली और अंतत: झामुमो विधायक ही भारी पड़े.

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