जमशेदपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्तर पर आयुष्मान भारत की योजना को लागू किया गया था. यह तय किया गया था कि आयुष्मान भारत योजना को लागू करने के बाद लोगों को इलाज आसानी से हो सकेगा, लेकिन गोल्डन कार्ड होने के बावजूद जमशेदपुर जैसे कथित तौर पर अग्रणी जिले में मरीज की मौत इलाज के अभाव में हो जाता है. ऐसा ही वाक्या जमशेदपुर में हुआ है. एक विकलांग की मौत बिना इलाज के बिष्टुपुर स्थित मेडिका अस्पताल (कांतिलाल गांधी अस्पताल) में हो गया है. 9 सितंबर को सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर के रहने वाले 25 वर्षीय तारकनाथ को अपना इलाज कराने के लिए आदित्यपुर सेव लाइफ नर्सिंग होम पहुंचा. उसके पास गोल्डन कार्ड था. वह बचपन से थैलैसीमिया से पीड़ित था. उसको इलाज करने से रोक दिया गया. नर्सिंग होम में तत्काल एक हजार रुपये देने के बाद उसको भरती लिया गया. लेकिन उसकी हालत बिगड़ी तो उसको सुबह में चिकित्सकों ने तत्काल बिष्टुपुर स्थित मेडिका अस्पताल रेफर कर दिया. वहां भी उसको गोल्डन कार्ड रहते हुए इलाज नहीं किया गया. उसके परिवार को बोला गया कि 30 हजार रुपये जमा कराये. उस वक्त परिवार के पास 30 हजार रुपये नहीं था. किसी तरह इन लोगों ने 14 हजार रुपये जमा कराया, जिसके बाद उसको भरती कराया गया. करीब एक घंटे के बाद चिकित्सकों ने उसको मृत घोषित कर दिया. इस घटना को विकलांग मंच ने गंभीरता से लिया है और इस मसले को लेकर आंदोलन चलाने की घोषणा कर दी है.