Jamshedpur : यदि आपने महान कवयित्री महादेवी वर्मा की ‘पुष्प की अभिलाषा’ शीर्षक कविता पढ़ी होगी, तो उसकी यह पंक्ति आपको जरूर याद होगी-‘ … मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक, मातृभूमि पर शीष चढ़ाने जिस पथ जायें वीर अनेक’. हर पुष्प यानी फूल यही कामना करता है, ताकि उस देश भक्त के पैरों की धूली पाकर वह धन्य हो जाये. लेकिन इसके ठीक विपरीत नजारा अपने जमशेदपुर शहर के स्टेशन क्षेत्र स्थित पेट्रोल पंप के पास सुबह देखने को मिल जायेगा, जहां गंदी व बजबज नाली के किनारे फूलों को रख कर बेचा जाता है. वही फूल कहीं देवी-देवताओं के सिर पर चढ़ते हैं, तो कहीं नेता-अभिनेता व महापुरुषों के गले का हार बनते हैं. यह हाल एक नहीं बल्कि हर दिन का है, जहां सड़क पर गंदा व दुर्गंधयुक्त पानी बहता रहता है. बगल की नाली का पानी भी सड़क पर बहने लगता है और विक्रेता उसी पानी के बीच किसी प्लास्टिक या बोरे के टुकड़े पर फूलों को फैलाकर रखते व बेचते हैं. कई लोग इसी आलम में फूलों की खरीदारी करते हैं, तो कुछ खरीदार गंदगी और इस स्थिति को देख कर अन्यत्र चले जाते हैं. हालांकि सड़क की दूसरी ओर इतनी गंदगी नहीं है, लेकिन वहां फूल विक्रेताओं को बैठने नहीं दिया जाता. हालांकि इस संबंध में कोई भी विक्रेता कुछ कहने को तैयार नहीं है. लेकिन इन विक्रेताओं के लिए भी बैठने व दुकानदारी की व्यवस्था होनी चाहिए जो हर सुबह श्रद्धा के फूल उपलब्ध कराते हैं.
Jamshedpur : सड़क पर बह रहे गंदे पानी व बजबज नालियों के किनारे बिकते हैं श्रद्धा के फूल
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