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jamshedpur-गाढाबासा ईएसआईसी डिस्पेंसरी का विधायक सरयू राय ने किया निरीक्षण, कहा- स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की सख्त जरुरत

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जमशेदपुरः झारखंड की राजनीति के भीष्म पितामह और राज्य के पूर्व मंत्री, जो वर्तमान में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक हैं. शनिवार को गाढ़ाबासा स्थित ईएसआईसी डिस्पेंसरी पहुंचे. वैसे यह पहला मौका है जब किसी जनप्रतिनिधि ने श्रमिकों के डिस्पेंसरी का निरीक्षण किया. अबतक इस डिस्पेंसरी की सुध लेने की जरुरत किसी जनप्रतिनिधियों ने नहीं समझी थी. आपको बता दें कि सरयू राय की गिनती राज्य के वैसे नेताओं में होती है जो स्पष्ट और साफ सुथरी राजनेता के रूप में जाने जाते हैं. सरयू राय इकलौते ऐसे नेता हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी नहीं बख्शा और सिद्धांत की राजनीति पर अडिग रहते हुए बीजेपी से बगावत कर अपने लिए राजनीति की अलग परिभाषा तय की. यही कारण है, कि विधानसभा चुनाव 2019 में उन्होंने जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से पिछले 25 सालों से अपराजेय रही भाजपा को न केवल चुनौती दिया बल्कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को सत्ता से बेदखल करने में बड़ी भूमिका निभाई. यहां की जनता ने उन्हें सर- माथे पर बिठाया और उन्हें विजयश्री दिलायी. हालांकि सरयू राय जनता से किए वायदों को जब भी मौका मिलता है पूरा करने से नहीं चूकते इसी क्रम में ईएसआईसी की सुविधा मिलने में परेशानी होने की शिकायत पर शनिवार को मंत्री गाढ़ाबासा स्थित ईएसआईसी डिस्पेंसरी पहुंचे और वहां का जायजा लिया. जहां उन्होंने पाया, कि डिस्पेंसरी भगवान भरोसे संचालित हो रहा है. इसकी जानकारी राज्य सरकार को है या नहीं इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. उन्होंने मुख्यमंत्री को यहां की समस्याओं से अवगत कराने की बात कही. मजदूरों के शहर के ईएसआईसी डिस्पेंसरी जिस पर लगभग मजदूरों के आठ लाख परिवार आश्रित है, वहां की दुर्दशा देख सरयू राय चिंतित नजर आए. उन्होंने इसके पीछे स्वास्थ्य विभाग और श्रम मंत्रालय को जिम्मेदार ठहराया. सरयू राय ने बताया, कि यहां सुविधा के नाम पर महज खानापूर्ति किया जा रहा है, नतीजा मजदूरों भुगतान पड़ रहा है. कहने को तो यह एक दौरा था, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के दावों की हकीकत को पोल खोलने वाली यह सच्चाई है. एक तरफ वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के तीसरे लहर को लेकर केंद्र और राज्य सरकार यहां तक, कि खुद स्वास्थ्य मंत्री सिस्टम को पूरी तरह से तैयार बता रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि मजदूरों के शहर में मजदूरों के इलाज के लिए बने डिस्पेंसरी का हाल बदहाल है. अस्पताल की स्थिति इस से भी बदतर है. वैसे सरयू राय ने अगर आवाज उठाई है तो गूंज दूर तक जाना तय है.

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