जमशेदपुर : जमशेदपुर के गोलमुरी उत्कल समाज के प्रांगण में स्थापित पंडित गोपाबंधु दास जी का मूर्ति पर पुष्पमाला अर्पित कर उनके 144 वें जन्म दिवस मनाया गया. उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास जी का जन्म 9 अक्टूबर 1877 को एक साधारण परिवार में जन्मे व्यक्ति आगे चलकर जिन्हें उड़ीसा का महात्मा गांधी भी समझे जाने वाले व्यक्ति जिन्होंने स्वाधीनता संग्रामी, कवि, लेखक दैनिक समाचार समाज के फाउंडर एवं संपादक भी रहे. उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन काल में उड़िया जाती की स्वाभिमान के प्रति सेवा और त्याग दिए. उनकी एक मुख्य स्लोगान जिसे आज भी सभी लोग याद करते हैं वह है “उच्च हेवा पाइं कर जेबे आशा”– ” उच्च कर आगे निज मातृभाषा” यानी किसी को सफलता की बुलंदियों को छूने की हसरत पाने से पहले अपनी मातृभाषा को ऊंचाई की उस बुलंदियों से भी आगे ले जाने की तमन्ना रखनी चाहिए. पंडित गोपबंधु दास अपनी संपूर्ण जीवन काल में गरीबों का सेवा करना उड़िया भाषा साहित्य एवं संस्कृति को सशक्त बनाने में साथ ही उड़ीसा राज्य गठन में अग्रणी भूमिका निभाए थे. इस अवसर पर मुख्य अतिथि समाजसेवी प्रकाश कुमार बस्तियां, समाज के अध्यक्ष अनंत नारायण पाड़ी, महासचिव प्रदीप कुमार जेना, उपाध्यक्ष अशोक कुमार सामंत, सचिव सुशील कुमार विश्वाल, शैलेंद्र प्रसाद लेंका, वसंत श्रीचंदन, कोषाध्यक्ष अजय कुमार जेना, कार्यकारी सदस्य श्याम सुंदर बारीक, दिवाकर महाराणा, विजय बारीक, वरीय सदस्य अनंत चरण सेठि, महेश्वर बारीक, बसंत कुमार मंगराज, उत्कल समाज मध्य विद्यालय के प्रधान अध्यापिका आलका नंद मिश्र, उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक अबनी कुमार दत्ता, अध्यापक त्रिलोचन गोप, अध्यापिका तृप्ति रानी बेरा, छोटी कुमारी, कादंबिनी महंत, निक्की कुमारी, सागरिका बेहुरा, सुश्री एस साहू आदि उपस्थित रहे. इस अवसर पर समाज द्वारा अनंत चरण सेठी एवं वसंत कुमार मंगराज को अंग वस्त्र एवं पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया, जो टिनप्लेट कंपनी से रिटायर हुए थे. इसके अलावा स्कूल के विद्यार्थियों के बीच एक निबंध प्रतियोगिता आयोजित किया गया था, जिनके विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया. गोलमुरी उत्कल समाज उच्च विद्यालय के विद्यार्थी जिनको सम्मानित किया गया, उनमें प्रथम स्थान चांदनी पाणीग्राही, द्वितीय स्थान लिपिका नायक, तृतीय स्थान सुधा पात्र, मध्य विद्यालय के विद्यार्थी क्रमशः प्रथम पुरस्कार विजयलक्ष्मी नायक, द्वितीय पुरस्कार शुभलक्ष्मी पाढी, तृतीय पुरस्कार निकिता खूंटिआ शामिल है.