जमशेदपुर : जमशेदपुर के घाघीडीह जेल में कैदी मनोज कुमार सिंह की हत्या के मामले में 15 फांसी और आजीवन कारावार के सात सजायाफ्ता लोगों को बरी करने के फैसले ने एक बार फिर से चर्चा तेज कर दिया है. दरअसल, इस घटना में सीसीटीवी फुटेज भी है, जिसमें साफ तौर पर कैदियों द्वारा पुलिस की देखरेख में मनोज कुमार सिंह की पिटाई की जा रही है. (नीचे भी पढ़ें)
पूरी सीसीटीवी फुटेज भी है. लेकिन इस सीसीटीवी फुटेज को झारखंड हाईकोर्ट की जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस अंबुजनाथ की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान विधिसम्मान नहीं माना और कहा कि सीसीटीवी फुटेज को एविडेंस एक्ट की धारा 65 बी के तहत प्रमाणित नहीं कराया गया है. इस कारण इसे वैध नहीं माना जा सकता है. इसके आधार पर सारे आोपियों को बरी कर दिया गया. (नीचे भी पढ़ें)
इस मामले में हत्याकांड में बासुदेव महतो, रामेश्वर अंगारिया, गंगा खंडैत, अरुप कुमार बोस, रमई करुवा, जानी अंसारी, अजय मल्लाह, पंचानंद पात्रो, गोपाल तिरिया, पिंकू पूर्ति, श्यामू जोजो, संजय दिग्गी, रामराय सुरीन, शिवशंकर पासवान और शरत गोप को फांसी की सजा जमशेदपुर कोर्ट ने सुनायी थी. (नीचे भी पढ़ें)
15 आरोपियों में से 12 लोग पहले से ही किसी न किसी मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे है जबकि तीन अन्य जघन्य हत्याकांड के आरोपी है. इसी मामले में संजीत दास, तौकीर, सौरभ सिंह, सोनू लाल, शोएब अख्तर उर्फ शिबू, ऋषि लोहार, सुमित सिंह समेत अन्य को दस साल की सश्रम कारावास की सजा सुनायी थी. (नीचे भी पढ़ें)
इस मामले में जेल के चार सिपाही अनिल कुमार, राम प्रताप यादव, संतोष कुमार और पंकज कुमार मंडल आरोपी है. इन सारे सिपाहियों का अलग से जमशेदपुर कोर्ट में ट्रायल चल रहा है. इस हत्याकांड में फांसी की सजा मिलने के बाद मनोज सिंह के पिता अनिरुद्ध सिंह को राहत मिली थी, लेकिन अब कोर्ट से सारे आरोपी के बरी हो जाने के बाद वे दुखी है. (नीचे भी पढ़ें)
वे चीखकर यह सवाल जरूर पूछ रहे है कि अगर सारे लोग बरी हो गये तो उनके बेटे को किसने मारा, कौन उनके बेटे के हत्यारे है. क्या बेटे की हत्या ही नहीं हुई है. सीसीटीवी फुटेज को कानूनी मान्यता नहीं दिलाने के लिए फिर कौन जिम्मेदार है. उन्होंने बतााय कि वे जचाहते है कि इस मामले में जेल में तैनात चार सिपाही और जेलर बालेश्वर सिंह को कोर्ट सजा दें. लेकिन इस फैसले ने सिस्टम पर सवाल उठा दिया है. पुलिस के अनुसंधान पर भी सवाल उठ गये है. (नीचे भी पढ़ें)
क्या है मामला :
जमशेदपुर के घाघीडीह सेंट्रल जेल में 25 जून 2019 को मनोज सिंह की जेल के भीतर ही हत्या कर दी गयी थी. मनोज सिंह सजायाफ्ता कैदी थी, जिसको पीट पीटकर मार दिया गया था. इस मामले में जमशेदपुर कोर्ट ने 15 दोषियों को फांसी की सजा जबकि बाकि सात दोषियों को दस साल की सजा सुनायी गयी थी. सभी दोषी घाघीडीह जेल के कैदी भी थे जबकि इस मामले में चार सिपाहियों को आरोपी बनाया गया था, जिसकी अलग से सुनवाई चल रही है. इस मामले में सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है. इसमें साफ तौर पर हत्या की पूरी वारदात कैद थी. लेकिन हाईकोर्ट ने इसको ही नहीं माना.