जमशेदपुर : दिल्ली के रोहणी कोर्ट में शुक्रवार को फायरिंग की दिल दहला देने वाली घटना के बाद कोर्ट परिसर में होने वाली सुरक्षा पर कई सवाल खड़े हो रहे है. हालांकि इस घटना से जमशेदपुर जिला कोर्ट को भी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है. जमशेदपुर जिला कोर्ट में भी फायरिंग की घटना हो चुकी है. कभी गैंगस्टर अखिलेश सिंह पर फायरिंग, तो कभी सरेआम उपेंद्र सिंह की गोली मारकर हत्या. कभी अपराधी वकील की वेशभूषा में हाजरी लगाकर निकल जाता है. यहां सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी आराम फरमाते हैं. दिल्ली के रोहणी कोर्ट में वकील की वेशभूषा में आए अपराधियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. चूंकि अपराधी वकील बन कर कोर्ट में घुसे थे, इसलिए सुरक्षा कर्मियों ने उनकी जांच नहीं की. जमशेदपुर कोर्ट का भी यही हाल है. यहां जो वकील कोर्ट में प्रवेश करते हैं उनकी जांच नहीं होती. तो क्या इस बात से इंकार किया जा सकता है कि जो घटना दिल्ली के रोहणी कोर्ट में घटी वह जमशेदपुर जिला कार्ट में न हो. (नीचे भी पढ़ें)
कब-कब कोर्ट में हुई घटना
केस-1
24 मई 2014 को पेरोल की अवधि खत्म होने पर एडीजे-2 की कोर्ट में सरेंडर कर बाहर निकल रहे अखिलेश सिंह पर दो अपराधियों ने फायरिंग का प्रयास किया. हालांकि पिस्टल लॉक होने से गोली नहीं चली थी. अखिलेश सिंह के समर्थकों ने एक युवक की जमकर पिटाई कर दी थी, जबकि एक युवक ने इजलास में घुसकर अपनी जान बचाई थी.
केस-2
30 नवंबर 2016 को जिला बार भवन के दूसरे तल्ले में ट्रांसपोर्टर उपेंद्र सिंह की दो अपराधियों ने दिन-दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस घटना में स्थानीय लोगों ने विनोद सिंह और सोनू सिंह को पकड़ लिया था. मौके से खोखा और हथियार बरामद किया गया था.
केस-3
बीते दिनों उपेंद्र सिंह हत्याकांड के आरोपी हरीश सिंह की पेशी होनी थी. इधर पुलिस ने हरीश को पकड़ने के लिए जाल बिछाया हुआ था. हरीश वकील की वेशभूषा में गेट नंबर तीन से घुसा और अपना बयान रिकार्ड करवाकर उसी गेट से बाहर निकल गया.