जमशेदपुर : झारखंड प्रदेश प्राईवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) का एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को जमशेदपुर उपायुक्त कार्यालय में मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमण्डल में मुख्य रूप से प्राईवेट स्कूल्स एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष रमन झा, प्रदेश महासचिव सुभाष उपाध्याय, जेवियर पब्लिक स्कूल्स ग्रुप के डायरेक्टर सुनील सिंह, प्राचार्या निभा सिंह, साउथ प्वाइंट स्कूल के निदेशक शिव प्रकाश शर्मा, साईं सरस्वती स्कूल की चेयरमैन जे शांता, निदेशक शुभम कुमार शामिल थे। पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक दुबे के निर्देशानुसार सभी जिले में आज ज्ञापन दिया गया। पासवा के जिलाध्यक्ष रमन झा ने कहा है कि इस ज्ञापन के माध्यम से अपील की गयी है कि प्रदेश में छठी कक्षा से ऊपर की कक्षाओं (क्लास) को ऑफलाइन प्रारंभ करने पर विचार किया जाए। (नीचे भी पढ़ें)
पासवा ने झारखंड सरकार के कोरोना के गाइडलाइन का पूरा समर्थन किया एवं किशोरों के लिए चल रहे कोविड विरोधी टीकाकरण अभियान में प्रशासन को पूरा सहयोग करने का भरोसा दिलाते हुए बच्चों के भविष्य और शिक्षकों तथा कर्मचारियों की आजीविका को भी ध्यान में रखने की जरूरत पर बल दिया है। पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा है कि कोरोना काल में जब दुनिया का हर काम हो रहा है, तो स्कूल खोलने और ऑफलाइन क्लास शुरू करने की हर संभावनाओं पर गंभीतरपूर्वक विचार कर स्कूली बच्चों के पठन-पाठन के सभी विकल्पों पर विचार करना चाहिए। उन्होंने बताया कि स्कूलों में ऑफलाइन क्लास शुरू करने के मुद्दे पर राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया। (नीचे भी पढ़ें)
उन्होंने कहा कि किशोरों के लिए शुरू किये गये शत-प्रतिशत टीकाकरण अभियान को लेकर छठी कक्षा से ऊपर के स्कूलों में ऑफलाइन क्लास शुरू होना जरूरी है। जब स्कूली बच्चे टीका लेंगे, तो उनके अभिभावक भी जरूर टीका लेंगे, इस तरह से टीकाकरण के शत प्रतिशत लक्ष्य को पूरा किया जा सकेगा। पासवा के प्रदेश महासचिव सुभाष उपाध्याय ने कहा कि कोरोना संक्रमण पर अंकुश को लेकर सरकार द्वारा उठाये गये कदम का स्वागत है, परंतु जिस तरह से कार्यालयों में 50 प्रतिशत की उपस्थिति के साथ ही काम की अनुमति दी गयी है, उसी तरह से स्कूलों में भी क्षमता का 50 प्रतिशत अथवा सोशल डिस्टेसिंग का पालन या एक दिन बीच कर ऑफलाइन क्लास की अनुमति दी जा सकती है। सरकार को इन सभी पहलुओं पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।