जमशेदपुर : श्रम संहिताओं पर विस्तृत चर्चा होने तक श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन को रोकने की ट्रेड यूनियनों की माँग को पूरी तरह से नकारने तथा मसौदा श्रम नियमों पर चर्चा के दौरान केंद्र सरकार के रवैये की पृष्ठभूमि में, सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियन और स्वतंत्र फेडरेशनों के संयुक्त मंच द्वारा आंदोलन के दूसरे और उच्चतर चरण को शुरू करने का फैसला के अनुसार देशव्यापी विरोध दिवस का असर बुधवार को जमशेदपुर में भी देखने को मिला. जमशेदपुर इंटक, एआईटीयूसी,सीटू, एक्टू,एआईयूटीयूसी से संबंधित यूनियनों के सदस्यों के साथ बैंक, बीमा, अराजपत्रित कर्मचारी, रेलवे, डाक, फार्मा आदि के फेडरेशन के सदस्य ने संयुक्त रूप से जीपीओ पार्क बिष्टुपुर के सामने विरोध प्रदर्शन किया. सभी चार श्रम संहिताओं को रद्द करने, तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, बिजली संशोधन बिल 2020 को वापस लेने, सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण को रोकने और गरीब परिवारों को आर्थिक और भोजन सहायता देने की मांगों के साथ बजट प्रस्तावों जैसे बीमा में एफडीआई में 74 फीसदी तक की बढ़ोतरी, विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने एवं कृषि मनरेगा, शिक्षा, समाज कल्याण, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, महिला और बाल विकास, वैज्ञानिक विभाग, शहरी विकास, पेंशन और विकलांगता आदि में बजट आवंटन में कटौती, पीएफ के ब्याज पर कर के प्रस्तावों का भी विरोध किया गया. कार्यक्रम के अंत में चार श्रम संहिता और तीन कृषि कानूनों की प्रतियां जलायी गयीं. (नीचे भी पढ़ें)
संयुक्त मंच द्वारा फरवरी के महीने में ही यूनियनों के कार्यकर्ताओं द्वारा, तीन दिनों की लगातार क्रमिक भूख हड़ताल किये जाने तथा इन मांगों के पूरा न होने की स्थिति में उचित समय पर कई दिनों की देशव्यापी हड़ताल की ओर बढ़ने का निर्णय लिया गया है. कार्यक्रम में राकेश्वर पांडे, अंबुज ठाकुर, विश्वजीत देब, केके त्रिपाठी, वीकेएल दास, बिनोद राय, ओमप्रकाश, स्वपन घोषाल, आरएस राय, परबिंदर सिंह सोहल, रिंटू रजक, अमित मोइत्रा, आरबी सहाय, डीएन सिंह, सुब्रत बिस्वास, आरएन ठाकुर, तपस चतुरराज, मीरा तिवारी आदि के नेतृत्व में बड़ी संख्या में विभिन्न यूनियनों के सदस्य उपस्थित थे.