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jamshedpur-lockdown-जमशेदपुर में फंसे मजदूरों को बिहार जाने के लिए नहीं हो रही व्यवस्था, मांगे जा रहे पैसे

राशिफल

जमशेदपुर : जिन मजदूरों के पास खाने को एक दाना नहीं उन मजदूरों को वापस उनके गांव भेजने के एवज में की जा रही है पैसों की मांग. मामला जमशेदपुर के बर्मामाइंस थाना अंतर्गत कैरोज कॉलोनी में लॉक डाउन के कारण फंसे बिहार के भागलपुर के सैकड़ों प्रवासी मजदूरों का है. गौरतलब है कि सीमेंट लोडिंग अनलोडिंग का काम करने वाले बिहारी मजदूर अपने गांव जाने को लेकर पिछले महीने की 13 तारीख से ही प्रयासरत हैं, लेकिन जिला प्रशासन की सख्ती के कारण ये अप्रवासी मजदूर वापस नहीं लौट सके. उधर 24 मार्च से जारी लॉक डाउन के कारण इन मजदूरों के पास ना तो खाने का भोजन बचा और ना ही कमाए गए पैसे. स्थिति ये है कि अब इनके भूखों मरने की नौबत आन पड़ी है. वही पिछले दिनों ट्रेन द्वारा प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला शुरू होते ही इनके सब्र का बांध टूट पड़ा. इन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री और झारखंड के मुख्यमंत्री से इन्हें भी इनके गांव भेजे जाने की फरियाद लगाई. हालांकि मीडिया में खबरें आने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आई जरूर, लेकिन जिला प्रशासन के हरकत में आने के दूसरे पहलू को जान आप भी हो जाएंगे हैरान. बताया जाता है कि इन अप्रवासी मजदूरों के मामले पर जिला प्रशासन ने गंभीरता दिखाते हुए जुगसलाई नगरपालिका के विशेष पदाधिकारी को अप्रवासी मजदूरों की सूची बनाने का जिम्मा सौंपा. उधर इन मजदूरों का सहयोग कर रहे मुखिया आफताब की ओर से सभी प्रवासी मजदूरों की सूची जुगसलाई नगरपालिका से पहुंचे कर्मचारी संतोष कुमार सिन्हा को सौंप दिया गया. उधर संतोष कुमार सिन्हा ने आफताब के माध्यम से प्रवासी मजदूरों तक यह सूचना भिजवाई की जिला प्रशासन प्रवासी मजदूरों के लिए बस की व्यवस्था कर देगी, लेकिन उसमें तेल का खर्च मजदूरों को ही वहन करना पड़ेगा. ऐसे में मजदूर किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए. वैसे कुछ मजदूरों ने जिला प्रशासन के इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया, लेकिन कुछ मजदूर जिनके पास फूटी कौड़ी भी नहीं बची वे ठगे महसूस कर रहे हैं. वैसे इस संबंध में जुगसलाई नगरपालिका के कर्मचारी संतोष कुमार सिन्हा ने बताया कि उनके द्वारा यह प्रस्ताव वरीय अधिकारियों के कहने पर मजदूरों को दिया गया है. ऐसे में सवाल यह उठता है, कि आखिर सरकार के कथनी और करनी में इतना बड़ा फर्क कैसे हो सकता है. एक तरफ प्रवासी मजदूरों को मुफ्त में उनके घरों तक पहुंचाने का दावा किया जा रहा है. दूसरी तरफ जमशेदपुर जिला प्रशासन इन अप्रवासी मजदूरों को इनके गांवों तक पहुंचाने के एवज में तेल के लिए पैसों की मांग कर रही है.

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