जमशेदपुर : जमशेदपुर में हजरत अली अलैहिस्सलाम का जन्म दिवस रविवार को धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर लोगों ने अपने घरों में नजर-नियाज दी एवं एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाईं. मानगो में जाकिरनगर की इमाम बारगाह हजरत अबू तालिब अलैहिस्सलाम में महफिल आयोजित हुआ, जिसमें स्थानीय शायरों ने हजरत अली की शान में कसीदे पढ़े. (नीचे भी पढ़ें)
इकबाल ने पढ़ा –
नसीब अहले जहां का संवरने वाला है, नबी के दीन का चेहरा निखरने वाला है।
अदब से अपने परों को बिछाओ ऐ जिब्रील, खुदा का शेर जमीं पर उतरने वाला है।
शिया जामा मस्जिद के पेश-ए-इमाम मौलाना जकी हैदर ने पढ़ा –
13 रजब की रात हो जिक्रे खुदा ना हो, भूल कर बैठा है आबिद को रिहा करके यजीद।
वसी ने पढा-
न भूलकर तुम अब किसी की बात करो, अली का जिक्र करो बस अली की बात करो।
सलमान ने पढ़ा –
गेसुएमहबूब का नजारा कर लेने के बाद, सूरा ए वल्लैल ने ली ऐसी अंगड़ाई कि बस। (नीचे भी पढ़ें)
इसी तरह इफ्तिखार अली, इनाम अब्बास, करीम सिटी कॉलेज के प्रोफेसर आले अली समेत अन्य शायरों ने भी हजरत अली अलैहिस्सलाम की शान में कसीदे पढ़े. आखिर में मौलाना सादिक अली ने तकरीर की और हजरत अली अलैहिस्सलाम की हयाते तैय्यबा पर रोशनी डाली. उन्होंने बताया कि हजरत अली अलैहिस्सलाम काबे में पैदा हुए थे. उन्होंने रसूल ए अकरम हजरत मोहम्मद मुस्तफा की आगोश में आंखें खोली थीं.