जमशेदपुर : जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल की कुव्यवस्था को लेकर जमशेदपुर पूर्वी के विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. मुख्यमंत्री को लिखे गये पत्र में सरयू राय ने कहा है कि पहले से ही कुव्यवस्था एवं कुप्रबंधन के लिये विख्यात है. अब वहां भ्रष्टाचार एवं अनियमितता का भी बोलबाला हो गया है. एमजीएम अस्पताल परिसर में हाल ही में बना 100 बेड का मॉड्यूलर आइसीयू भवन का विस्फोट के साथ ढह जाना इसका जीता-जागता उदाहरण है. इसके निर्माण के दौरान भी वहां ऐसा हादसा हुआ था. निर्माण के बाद भी हुआ है. गनिमत है कि इस दौरान वहां कोई मरीज भर्ती नहीं था. आगे ऐसा हादसा नहीं होगा इसके प्रति सरकार को आश्वस्त करना होगा. यह तभी संभव है जब सरकार इस भवन के निर्माण की जांच थर्ड पार्टी तकनीकी विशेषज्ञों से कराये ताकि निर्माण के दौरान हुई अनियमितताओं का पता चल सके. प्रथम दृष्ट्या प्रतीत होता है कि इस ढांचा के निर्माण में घपला हुआ है, घटिया सामग्रियों का इस्तेमाल हुआ है. श्री राय ने मुख्यमंत्री को बताया है कि बीमारी से निजात पाकर स्वस्थ होने के लिये अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के जान की हिफाजत सरकार की पहली प्राथमिकता है. इसे देखते हुए इस भवन के ढांचा के निर्माण के तकनीकी, वित्तीय एवं अन्य विविध पहलुओं की जांच उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समूह से कराई जाए. उन्होंने कहा कि एमजीएम अस्पताल में मरीजों को पौष्टिक आहार देने के लिये हाल ही में इस मद में होने वाला व्यय 50 रुपये प्रति मरीज से बढ़ाकर 100 रुपये प्रति मरीज किया गया है. भोजन सामग्री की गुणवत्ता में सुधार हुआ तो इसका सभी ने स्वागत किया और हर्ष व्यक्त किया. अस्पताल प्रबंधन की प्रशंसा में इस बारे में समाचार पत्रों एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में खबरें भी छपीं. पर इसके थोड़े ही दिन बाद अस्पताल के अन्दरूनी सूत्रों से खबरें आने लगी हैं कि मरीजों की भोजन व्यवस्था बदतर हो गई है. भोजन का स्तर घटिया हो गया है. इसे लेकर मरीजों एवं उनके परिजनों में असंतोष एवं रोष व्याप्त है. यह एक गंभीर विषय है. इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिये. इसकी जांच होनी चाहिये कि मरीजों का भोजन व्यय दोगुना हो जाने के बावजूद भोजन का स्तर घटिया कैसे हो गया है ? श्री राय ने कहा है कि एमजीएम अस्पताल के नियमों एवं परम्परा में कोई प्रावधान नहीं होने के बावजूद स्वास्थ्य मंत्री के एक निजी प्रतिनिधि अस्पताल में प्रतिनियुक्त हैं. अस्पताल अधीक्षक के कक्ष के सामने उनके बैठने के लिये एक बड़ा कक्ष आवंटित किया गया है. बताया जाता है कि वहां से वे अपने हिसाब से अस्पताल की गतिविधियों और मरीजों की सुविधा/असुविधा की निगरानी करते रहते हैं. इसके बावजूद यदि अस्पताल में निर्माण का काम घटिया हो रहा है और मरीजों की भोजन आदि सुविधाएं बदतर हो गई हैं तो यह आश्चर्यजनक है. इसकी जवाबदेही आखिर कौन उठायेगा ? उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समूह की जांच से ही इसका खुलासा हो पायेगा कि एमजीएम अस्पताल की वर्तमान कुव्यवस्था के लिये जिम्मेदार एमजीएम प्रबंधन की लापरवाही है, प्रबंधन के कार्यों में परोक्ष-प्रत्यक्ष, वांछित-अवांछित हस्तक्षेप है या एमजीएम व्यवस्था पर थोपा गया भ्रष्टाचार है? श्री राय ने अनुरोध किया है कि जनहित में इस मामले की जांच उच्चस्तरीय तकनीकी एवं वित्तीय विशेषज्ञ समूह से कराने का कृपया शीघ्र निर्देश दें